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छह माह से 'बेगारी' कर रहीं रसोइयां

सिंगरामऊ (जौनपुर): स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों को गरमा-गरम भोजन परोसने वाली रसोइयों के बच्चे

By Edited By: Published: Wed, 15 Oct 2014 07:07 PM (IST)Updated: Wed, 15 Oct 2014 07:07 PM (IST)

सिंगरामऊ (जौनपुर): स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों को गरमा-गरम भोजन परोसने वाली रसोइयों के बच्चे भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। क्योंकि उन्हें पिछले छह माह से मानदेय नहीं दिया गया है। इसके चलते उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।

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क्षेत्र के कई स्कूलों में तैनात रसोइयों को छह माह से मानदेय नहीं मिला है परंतु वे उफ तक नहीं कर पा रही हैं। नौकरी बचाने के लिए वे शिक्षा विभाग की बेगारी करने को मजबूर हैं। प्राथमिक विद्यालयों एवं जूनियर हाईस्कूलों में बकायदा भोजनमाता की बच्चों की संख्या के अनुसार तैनाती की गई है। ये बच्चों को भोजन बनाकर परोस रहीं हैं। इसके एवज में इन्हें एक हजार रुपये मानदेय दिया जाता है। मामूली मानदेय पर नौकरी कर रहीं रसोइयों की तनख्वाह न मिलने से इनके समक्ष आर्थिक तंगी का संकट आन पड़ा है। ईद, बकरीद, दशहरा, करवा चौथ जैसे त्योहार बीत गए, अब दीपावली की रोशनी भी काली होने वाली है। गरीबी में जीवनयापन कर भोजन माता बनीं ये महिलाएं मानदेय के सहारे ही अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। परंतु शिक्षा महकमे की उदासीनता से इन्हें खुद का खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है।

ये चुप हैं क्योंकि 'साहब' व 'प्रधान' की मर्जी पर उनकी नौकरी निर्भर है। रसोइयों से बात की गई तो वे कहती हैं कि आखिर कब तक अबला बनी रहेगी नारी। जब भी संघर्ष शुरू होगा, आवाज निश्चय ही दूर तलक जाएगी।


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