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संभावनाएं अपार बस सरकार के नजर की दरकार

By Edited By: Published: Sat, 26 Jul 2014 08:44 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jul 2014 08:44 PM (IST)

जौनपुर: सूबे के बड़े-बड़े किंतु पिछडे़ जनपदों में शुमार शिराजे हिंद के खिताब वाले जौनपुर में उद्योग धंधे की संभावनाएं अपरंपार है। बस प्रदेश व केंद्र सरकार के नजरे इनायत की दरकार है।

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प्रदेश व केंद्र की सरकार अपने भारी भरकम बजट में यहां इत्र व प्रसिद्ध मक्के पर आधारित उद्योग धंधे को प्रतिस्थापित करने के लिए थोड़ी बहुत भी व्यवस्था की होती तो यहां के लोगों के आर्थिक स्थिति की तस्वीर शायद कुछ दूसरी होती।

खस्ता हाल सतहरिया आद्योगिक क्षेत्र, अपेक्षाओं पर खरा उतरने में अक्षम सिधवन व त्रिलोचन औद्योगिक क्षेत्र, बंद कताई मिल, बिक चुकी शाहगंज की चीनी मिल यहां के उद्योग धंधों की बदहाल स्थिति बयां करने को पर्याप्त है।

समय-समय पर सरकार के विभिन्न मंत्रियों व संसदीय चुनाव में इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर अपने एजेंडे में शामिल कर सांसद बन चुके जनप्रतिनिधियों ने उद्योग धंधों की स्थापना के दावे तो बढ़-चढ़कर किए लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहा।

कभी देश विदेश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब यहां का इत्र उद्योग शासन में बैठे जिम्मेदारों की अदूरदर्शिता के चलते अपनी चमक खो चुका है। यहां के मक्के की प्रसिद्धि भले ही जगजाहिर है लेकिन इस पर आधारित उद्योग धंधों की बड़ी संभावनाओं को भी कभी तवज्जो नहीं दिया गया।

अभी हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इस जिले में उद्योग धंधों की स्थापना करवाने का दावा तो बढ़-चढ़कर किया गया था लेकिन मोदी सरकार के पहले बजट में ऐसा कुछ भी नहीं कराया जा सका जिससे यहां उद्योग धंधों की स्थापना की रंचमात्र भी संभावना दिखलाई पड़ती।

धरोहरें बेमिसाल, सुविधाओं का अकाल

इस एतिहासिक जिले में शर्की व मुगलकालीन स्थापत्य कला के नायाब नमूने वाले धरोहरों की भरमार है। लेकिन सुविधाओं का अकाल होने के कारण वे पर्यटकों का अपने तक खींच नहीं पा रही है। इतिहास के छात्रों के शोध का विषय बन चुकी इन धरोहरों तक उन विद्यार्थियों व देशी पर्यटकों की आमद के बीच कभी-कभार विदेशी पर्यटकों की टोली भी देखी जाती है।

धर्म नगरी वाराणसी के पड़ोस में स्थित इस जिले में यदि सरकार पर्यटन के क्षेत्र में जरूरी सुविधाएं मुहैया करा सकती तो यह पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो जाता।

राह देख रहे गोमती नदी के घाट

गंगा-यमुना पर मेहरबान सरकार की नजरे इनायत की उम्मीद में गोमती नदी के घाट भी 'अच्छे दिन आने' की राह देख रहे हैं। शहर के बीचोबीच से प्रवाहित गोमती नदी पर बने ऐतिहासिक शाही पुल व उसके करीब ही दो अन्य पक्के पुलों से नदी के तटीय क्षेत्र सुबह-शाम गुलजार रहने लगा है। यदि शहर में नदी तट के दोनों ओर स्थित घाटों का सुंदरीकरण, नदी के पटान की खुदाई व लाइटिंग की व्यवस्था अमली जामा पहन पाती तो समूचा क्षेत्र बड़ी तादाद में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में समर्थ हो जाता।

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मैं क्षेत्र में उद्योग धंधों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरा जो प्रयास चल रहा है वह एक वर्ष में अवश्य रंग लाएगा। इन उद्योग धंधों के जरिए बेरोजगारों को रोजगार की व्यवस्था कराई जाएगी। यूरिया व उर्वरक की फैक्ट्री क्षेत्र में खोले जाने के लिए संबंधित मंत्री से वार्ता भी हो चुकी है।

-रामचरित्र निषाद, सांसद, मछलीशहर


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