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कलश यात्रा का स्वर्ग की परिक्रमा के बराबर मिलता है फल

By Edited By: Published: Sat, 19 Apr 2014 07:42 PM (IST)Updated: Sat, 19 Apr 2014 07:42 PM (IST)
कलश यात्रा का स्वर्ग की परिक्रमा के बराबर मिलता है फल

खुटहन/चंदवक(जौनपुर) : क्षेत्र के खोमरिया गांव में आयोजित साप्ताहिक भागवत कथा के शुभारंभ से पूर्व शनिवार को कलश यात्रा निकाली गई। इस मौके पर अयोध्या से आए महंथ मंडलेश्वर राम बालक त्यागी महराज ने कहा कि कलश यात्रा करने का फल स्वर्ग की परिक्रमा के बराबर होता है।

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उन्होंने कहा कि कलश यात्रा के दौरान मानव का चित्त और मन एकाग्र होकर सिर्फ ईश्वर पर ही केंद्रित होना चाहिए। यदि उसका मन विचलित भी हुआ तब भी उसके अंत:करण में ईस्ट के प्रति एक नई ऊर्जा और धार्मिक शक्ति का संचरण होने लगता है।

त्यागी जी महराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सर्व प्रथम शुकदेव जी महराज ने राजा परीक्षित को सुनाया था। जिसे सुनकर राजा के सारे भ्रम और भय दूर हो गया था। उन्होंने कहा कि कथा में बताए मार्ग पर चलकर स्वयं को ईश्वरमय बना लिया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है। यह कथा सुनाने और सुनने वाले दोनों के लिए शुभकारी होती है। कलश यात्रा से पूर्व यज्ञाचार्य लालमणि महराज ने दिव्य कलश का पूजन कराया। इस मौके पर प्रेमलाल यादव, सुरेंद्र यादव, बृजेश, राकेश मिश्रा, पुष्पा, अनीता, किरन, विद्या आदि शामिल थे। इससे पूर्व कलश यात्रा पिलकिछा गांव स्थित गोमती नदी से जल लेकर भ्रमण करती यज्ञ स्थल पर पहुंची।

इसी क्रम में चंदवक क्षेत्र के रेहारी गांव निवासी राम नरेश चौबे के यहां श्रीमद्भागवत कथा व ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन वाराणसी के आचार्य उमेश चंद्र द्विवेदी वैदिक जी ने पूजन के बाद कथा प्रवचन किया। इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी रही।


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