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खटारा वाहनों में ढोये जा रहे बच्चे

उरई, जागरण संवाददाता : निजी स्कूलों में पढ़ने जाने वाले बच्चे खटारा वाहनों से सफर करते हैं। उनकी जान

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 07:42 PM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 07:42 PM (IST)
खटारा वाहनों में ढोये जा रहे बच्चे

उरई, जागरण संवाददाता : निजी स्कूलों में पढ़ने जाने वाले बच्चे खटारा वाहनों से सफर करते हैं। उनकी जान हमेशा जोखिम में रहती है। कभी हादसा हो सकता है लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं है। नियम-कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वाहनों की फिटनेस जांच के नाम पर महज खानापूरी होती है। स्कूलों के प्रबंधक भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक वाहन में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाये जाते हैं। इनमें टेंपो और मैजिक गाड़ियों की संख्या अधिक है। कस्बों के स्कूलों में तो शायद ही कोई वाहन सही सलामत दिखाई दे।

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स्कूलों में जो भी वाहन लगे हैं उनमें से पचास फीसदी से अधिक वाहनों की हालत ठीक नहीं है। जर्जर वाहन बच्चों को स्कूल लाते ले जाते हैं। हालत यह रहती है कि वाहनों के खिड़की दरवाजे तक सही सलामत नहीं रहते हैं। किसी वाहन में आपातकालीन दरवाजा भी नजर नहीं आता है। बच्चों को लाने ले जाने वाली अधिकांश वैन में गैस किट लगी होती है जिसे रसोई गैस सिलेंडर से संचालित किया जाता है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। शहर के स्कूलों में लगे कुछ वाहन तो ठीक मिल जायेंगे लेकिन कस्बों में जो स्कूल खुले हैं उनमें लगे वाहनों की हालत अच्छी नहीं रहती है। क्षमता से अधिक बच्चे बैठाने में वाहन चालक पीछे नहीं रहते हैं। अधिकारियों के आंखों के सामने से यह वाहन गुजरते हैं लेकिन उनको भी कुछ दिखाई नहीं देता है। होना यह चाहिए कि वाहनों की फिटनेस की जांच हो और वाहन चालकों का नेत्र परीक्षण भी होना चाहिए लेकिन यह खानापूरी में निपटा दिया जाता है। किसी का ध्यान इस ओर भी नहीं जाता है कि किस तरह वाहनों में बच्चे ठूंसकर भरे जाते हैं। स्कूलों के प्रबंधकों को भी इससे कोई सरोकार नहीं रहता है। सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय के मुताबिक एक मैजिक वाहन में 15 से अधिक बच्चे नहीं बैठने चाहिए लेकिन वाहन चालक बीस से पच्चीस बच्चे तक बैठाते हैं। इससे नौनिहालों को भी परेशानी होती है लेकिन वह कर भी क्या सकते हैं।

जिम्मेदार बोले

वाहनों की फिटनेस जांची जाती है। सभी स्कूल प्रबंधकों को इस सबंध में चेतावनी दी जा चुकी है। पिछले महीने अभियान चलाया गया था जिसमें कई खटारा वाहनों के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी। जल्दी ही फिर अभियान चलाया जायेगा। जो खटारा वाहन बच्चों को ढोते मिले उनको सीज करने की कार्रवाई की जायेगी।

- एके त्रिपाठी, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी


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