डिकौली में 15 दिन से फुंका ट्रांसफार्मर
माधौगढ़, संवाद सहयोगी : गर्मी के मौसम में लोगों को सबसे अधिक पानी व बिजली की जरूरत पड़ती है जिससे लोग
माधौगढ़, संवाद सहयोगी : गर्मी के मौसम में लोगों को सबसे अधिक पानी व बिजली की जरूरत पड़ती है जिससे लोग आराम से रह सकें लेकिन जब इन दोनों के लिए जद्दोजहद करनी पड़े तो फिर लोगों की परेशानी चार गुना हो जाती है। ऐसी ही बानगी है तहसील क्षेत्र के ग्राम डिकौली की जहां 15 दिन से फुंके पड़े ट्रांसफार्मर के कारण न तो बिजली आ रही है और न ही नलकूप चल पा रहा है जिससे पानी का संकट खड़ा हो गया है।
तहसील क्षेत्र के ग्राम डिकौली में 15 दिन पहले ट्रांसफार्मर फुंक गया था जिसको बदलवाने के लिए प्रधान सहित ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के कार्यालय में जाकर शिकायत दर्ज करायी थी लेकिन फिर भी इसे बदलवाने की जहमत नहीं उठायी गयी। हालत यह है कि 15 दिन से गांव में अंधेरा पसरा हुआ है। बिजली न आने के कारण नलकूप भी नहीं चल पा रहा जिससे लोगों को पानी के संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में बिजली न मिलने से ग्रामीण बिलबिला रहे हैं और दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गयी है। उन्होंने जल्द ही ट्रांसफार्मर बदलवाने की मांग की है। प्रधान प्रतिनिधि उदय करन का कहना है कि उन्होंने कई बार विद्युत विभाग के एसडीओ सत्येंद्र प्रताप ¨सह से शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सत्येंद्र प्रताप ¨सह का कहना है कि विद्युत विभाग में कमियां ही कमियां हैं जिनको एक दम से दूर नहीं किया जा सकता है। वे प्रयास करेंगे कि जल्द ही ट्रांसफार्मर को बदलवा दिया जाये।
ग्रामीणों का दर्द
15 दिन से गांव में अंधेरा पसरा हुआ है जिससे ग्रामीण खासे परेशान हैं। बिजली न आने के कारण विद्युत उपकरण शो पीस बने हुए हैं। लोगों ने ट्रांसफार्मर को बदलवाने की मांग की है। सुशील शर्मा
अगर समय रहते विद्युत विभाग चेत जाता तो शायद ट्रांसफार्मर अब तक बदल चुका होता लेकिन किसी को क्या पड़ी जो कोई इसकी सुध ले। सभी कर्मचारी समस्या सुनकर अनसुनी कर देते हैं। नवल कुमार
ट्रांसफार्मर फुंक जाने के कारण बिजली नहीं आ रही है जिससे नलकूप नहीं चल पाया है और पानी का संकट भी खड़ा हो गया है। लोगों को पानी के लिए हैंडपंपों पर लाइन लगानी पड़ती है। पूरन
गर्मी के मौसम में 15 दिन के गांव में बिजली न आने के कारण महिलाएं व बच्चों को बुरा हाल है। रात के समय न सो पाते हैं और दिन में भी पेड़ों की छांव में बैठकर दोपहर गुजारनी पड़ती है। अजीत ¨सह