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आग की घटनाओं में भगवान भरोसे जिला

उरई, जागरण संवाददाता : आग की बड़ी घटनाओं की स्थिति में जिले का दमकल विभाग लाचार हो जाता है। विभाग के

By Edited By: Published: Sun, 28 Jun 2015 05:20 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2015 05:20 PM (IST)
आग की घटनाओं में भगवान भरोसे जिला

उरई, जागरण संवाददाता : आग की बड़ी घटनाओं की स्थिति में जिले का दमकल विभाग लाचार हो जाता है। विभाग के पास न तो पर्याप्त साधन हैं और न कर्मियों की पर्याप्त संख्या है। इसी वजह से आग की घटनाओं में काबू पाने में कई बार दमकल कर्मी पूरी तरह से असहज की स्थिति में पहुंच जाते हैं। माधौगढ़ जैसी प्रमुख तहसील में भी आज तक दमकल केंद्र स्थापित नहीं पाया है। जबकि हर साल आग लगने की सबसे ज्यादा घटनाएं इसी क्षेत्र में होती हैं। जालौन में दमकल केंद्र का भवन तो बन गया है लेकिन अभी तक भवन अधिग्रहीत नहीं होने से वहां भी आग की घटनाएं होने पर उन पर काबू पाने के लिए उरई से गाड़ी मौके पर पहुंचती हैं।

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एक भी हाईडेंट सुरक्षित नहीं

आग की बड़ी घटनाएं होने की स्थिति में शहर के भीतर ही दमकल गाड़ियों मे पानी भरने की समस्या खड़ी हो जाती है। जल संस्थान द्वारा यूं तो जिला अस्पताल, घंटाघर, दूर संचार कार्यालय, समेत दस प्रमुख स्थानों पर हाईटेंड बनाए थे, लेकिन अतिक्रमण में उनका अस्तित्व खत्म हो गया है। यहां तक कि फायर स्टेशन के सामने स्थित हाईटेंड भी खराब है। फायर टैंकर भरने के लिए दूर संचार कार्यालय के सामने स्थित नलकूप या फिर ¨हदुस्तान लीवर लिमिटेड जाना पड़ता है। पिछले दिनों राठ रोड बांस मंडी में लगी भीषण पर काबू पाने में पानी की दिक्कत का सामना दमकल कर्मियों को करना पड़ा था।

पूरे जिले में केवल एक एफएसओ

जिला मुख्यालय उरई के अलावा कोंच, कालपी तथा जालौन के फायर स्टेशन संचालित हो रहे हैं। इस लिहाज से वहां भी एक एक फायर स्टेशन आफीसर नियुक्त होना चाहिए। जबकि पूरे जिले का सुपरविजन करने के लिए एक सीएफओ का पद सृजित है, परंतु वर्तमान में केवल एक एफएसओ की तैनाती पूरे जिले में है। 11 के अनुपात में केवल पांच टैंकर हैं। जबकि प्रशिक्षित चालक भी कम हैं। इसी वजह से आग की बड़ी घटनाएं होने पर कई बार समय से गाड़ी मौके पर नहीं पहुंच पाती।

कब स्थापित होगा माधौगढ़ में दमकल केंद्र

तहसील स्तर पर अग्निशमन केंद्र स्थापित करने का प्रावधान है। माधौगढ़ के लिए दमकल केंद्र स्वीकृत हुए 18 साल गुजर चुके हैं। परंतु आज तक दमकल केंद्र का भवन नहीं बन पाया है। केवल एक फ्लोट पंप थाने में रखा गया है। जिस गांव में तालाब है वहां तो फ्लोट पंप आग बुझाने में कारगर है लेकिन जहां पानी का साधन नहीं हैं वहां पर आग बुझाने के लिए उरई से दमकल गाड़ी मौके पर भेजी जाती है। 60 किलोमीटर सफर तय करने में खराब सड़क की वजह से दो तीन घंटे का समय लग जाता है। तब तक आग से सब कुछ खाक हो चुका होता है।

यह है गतिरोध

जिले के क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से दमकल की गाड़ियां नहीं हैं। कालपी और कोंच की गाड़ी दुरुस्त हालत में नहीं हैं। हाईडेंट तो कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। सीएफओ की नियुक्ति नहीं होने की वजह से संसाधनों की पूर्ति के लिए बनाये गए प्रस्ताव की प्रभावी पैरवी नही हो पाती है।

यह हैं समाधान

माधौगढ़ में दमकल केंद्र स्थापित होना चाहिए जिससे वहां पर आग से हर साल होने वाली लाखों की क्षति को कम किया जा सकता है। इसके अलावा नीयतन के हिसाब से गाड़ी और कर्मचारियों की पूर्ति होने चाहिए। बड़े व्यवसायिक भवनों में अग्नि सुरक्षा के साधन सुनिश्चित किए जाएं।

क्या कहते हैं अफसर

फायर स्टेशन अफसर अमर ¨सह पाल का कहना है कि जिला मुख्यालय पर उपलब्ध गाड़ियां दुरुस्त ली गई हैं। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अग्नि सुरक्षा के साधन नहीं होने की शिकायत मिली थी। इसको लेकर होटल संचालकों व विवाह घर संचालकों को नोटिस जारी किया जा रहा है।

लोगों की राय

दमकल के मजबूत साधन नहीं होने की वजह से ही आग की बड़ी घटनाओं पर कभी जल्दी काबू नहीं हो पाता है। कम से कम शहर के हाईटेंड ही सुरक्षित कर लिए जाएं। - हरिओम

वर्ष 2008 में माधौगढ़ क्षेत्र के करीब तीस गांवों में भीषण आग से भारी क्षति हुई थी। इसके बावजूद वहां दमकल केंद्र स्थापित करने की कवायद में गंभीर प्रयास नहीं किए गए। - संतोष

व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी आग की घटनाओं को लेकर सुरक्षित नहीं हैं। हादसे होने पर कुछ दिन ¨चता रहती है लेकिन फिर ध्यान हट जाता है। - नागेश कुमार

सरकारी संसाधनों के भरोसे न रहते हुए लोगों को खुद आग की घटनाओं को लेकर सचेत रहने की जरूरत है। बड़ी घटनाओं से भी यहां कोई सबक नहीं लेता है।

- महेंद्र भाटिया


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