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हिंदी और हिंदी भाषियों को कमतर आंकना उचित नहीं

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 08:20 PM (IST)
हिंदी और हिंदी भाषियों को कमतर आंकना उचित नहीं

उरई, जागरण संवाददाता : हिंदी एवं हिंदी भाषी व्यक्तियों को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। हिंदी दिवस मनाने का अर्थ यह नहीं है कि हिंदी किसी मायने में कम है या इसका महत्व कम है बल्कि इस तरह के आयोजन का उद्देश्य यह है कि इस बहाने लोग एक साथ बैठकर विचार मंथन करते हैं। चिंतन की यह प्रक्रिया निरंतर होती रहनी चाहिए।

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यह बात जनपद न्यायाधीश विनोद कुमार यादव ने हिंदी सप्ताह के अंतर्गत 'विधि के क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग' विषय पर जनपद न्यायालय सभागार में आयोजित विचार गोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि मुगलकाल हिंदी का स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि इस काल में मलिक मुहम्मद जायसी और रसखान जैसे लोकप्रिय कवि हुए हैं जिन्होंने हिंदी को न सिर्फ साहित्य में आगे बढ़ाया बल्कि उन्होंने इसे राज्याश्रय भी दिलाया जिससे यह आगे चलकर राजकाज की भाषा बनने की दिशा में अग्रसर हो सकी।

कार्यक्रम संयोजक और आयोजन समिति के अध्यक्ष वरिष्ठ अपर जिला जज रामअचल यादव ने कहा कि अवर न्यायालयों में विगत कई वर्षो से संपूर्ण कार्य हिंदी में किया जा रहा है और यहां तक कि विगत एक सप्ताह से सभी आदेश-पत्रक भी हिंदी में लिखे जा रहे हैं। उन्होंने हिंदी को साम‌र्थ्यवान भाषा बताते हुए कहा कि न्यायिक कार्यो में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग होने से वादकारी की वास्तविक समस्या न्यायालय में प्रस्तुत करने में एक ओर जहां आसानी हो जाती है वहीं दूसरी ओर वादकारी को भी न्यायिक कार्रवाई समझने में सहजता होती है। वरिष्ठ अधिवक्ता व साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी अंग्रेजी का विरोध नहीं करती है बल्कि मातृभाषा होने के कारण अपना मान-सम्मान चाहती है। फौजदारी अधिवक्ता यूसुफ इश्तियका, शेखर चंद्र पाठक ने भी विचार व्यक्त किये। इससे पहले सरस्वती विद्या मंदिर के विद्यार्थियों सत्यम और उपासना अवस्थी ने सरस्वती वंदना के साथ ही हिंदी की महिमा पर केंद्रित एक प्रभावशाली गीत सुनाया। इस मौके पर विशेष न्यायाधीश मुक्तेश्वर प्रसाद चौरसिया, अपर जिला जज संजय कुमार सिंह, राकेशधर दुबे, मनोज कुमार शुक्ला, सुनील कुमार मिश्रा, मुकेश कुमार सिंघल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेकानंद शरण त्रिपाठी, सिविल जज नीरज कुशवाहा, परविंद कुमार, पीयूष कुमार वर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट हृदेश कुमार, विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट जगमोहन सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामकुमार दीवौलिया और अश्विनी कुमार मिश्र समेत कई लोग मौजूद रहे।

इसी क्रम में डीवी कालेज के रसायन विज्ञान विभाग में 'विश्व के विभिन्न राष्ट्रों की प्रगति में उनकी भाषा का योगदान और भारत में हिंदी की दशा एवं दिशा पर' विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। प्राचार्य डा. आदित्य कुमार ने हिंदी को सरल एवं सहज बनाने पर बल देते हुए कहा कि कोई भी भाषा वैश्विक एवं प्रभावशाली तभी बन सकती है जब वह जन-जन की भाषा हो। साथ ही रोजगारपरक हो। डा. रामाधीन ने दुनियां में सबसे वैज्ञानिक भाषा हिंदी को बताया। डा. केसी गुप्ता ने अपनी भाषा को सम्मान की दृष्टि से देखने की बात कही। इस मौके पर डा. नीलम मुकेश, डा. शारदा अग्रवाल, डा. एसके गुप्त, डा. अलकारानी पुरवार, डा. डीके सिंह, डा. आनंद खरे, डा. रामप्रताप सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। इस मौके पर डा. नसीफुल्ला हसन, डा. हर्ष गर्ग, डा. शरत श्रीवास्तव और डा. ज्ञानेंद्र मोहन बसेड़िया समेत कई लोग मौजूद रहे।


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