बारिश थमने से किसान परेशान
उरई, जागरण संवाददाता : बारिश थमने से सबसे ज्यादा विचलित हालत में जिले के किसान हैं। बारिश न होने के कारण ज्यादातर इलाकों में खरीफ की फसल की बुआ नहीं हो पायी है। किसानों को मानना है कि यदि देर से बारिश भी गई तो भी फसल की बुआई संभव नहीं हो पायेगी। सबसे ज्यादा छोटे किसानों परेशान है। खरीफ और रबी दोनों फसलें की पैदावार कर वे किसी तरह से अपने परिवार का गुजारा कर पाते हैं।
जिले में करीब साढ़े चार लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि हैं। इसमें बहुत बढ़ा क्षेत्रफल अभी भी असिंचित हैं। समय से मानसूनी बारिश होने की स्थिति में ही फसल पैदावार के लिए बीज का छिड़काव हो पाता है। पिछले कई साल से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं का सामाना करने की वजह से किसानों की गाड़ी पटरी पर नहीं आ रही है। कभी सूखे की वजह से फसल पैदा नहीं हो पाती तो कभी भयंकर बारिश के कारण तैयार फसल ऐन मौके पर बर्बाद हो जाती है। जिले में करीब 1 लाख 75 हजार हैक्टेयर भूमि में खरीफ की फसल की पैदावार होने की उम्मीद थी लेकिन बारिश न होने से किसान अभी तक बुआई नहीं कर पाए हैं। माधौगढ़, जालौन और कदौरा क्षेत्र में कुछ जगहों पर किसानों ने शुरूआत में हुई बारिश के दौरान बुआई कर भी दी थी लेकिन प्रचंड गर्मी की वजह से बीच में अंकुरण नहीं हो पा रहा है। माधौगढ़ क्षेत्र के किसान वीर सिंह का कहना है कि बारिश नहीं होने के कारण ज्वार, उर्द, मूंग, अरहर, तिल की पैदावार की उम्मीद क्षीण हो चुकी हैं। जिले में खरीफ में यहीं फसलें परंपरागत तरीके से बोई जाती हैं। देर से बारिश होती भी है तो कोई काम की नहीं। इसके अलावा खेतों में खर पतवार भी उगने से किसान परेशान हैं।
उम्मीदों पर फिरा पानी
जालौन : सवन के महीने में निकल रही धूप से जनजीवन है। सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं। पिछले सप्ताह हुई बारिश के दौरान किसानों ने उत्साहित होकर तिलहनी फसलों के लिए बीज का छिड़काव कर दिया गया था। लेकिन बारिश थमने से वह भी बेकार हो गया। कहीं पर भी फसल का जमाव नहीं हुआ है। किसान यूनियन के नेता राघवेंद्र सिंह गुर्जर, रमाकांत निरंजन, परशुराम सिंह, अंगद सिंह, भुलई गुर्जर आदि ने कहा कि चूंकि अब बारिश हो भी जाए तो फसल पैदा नहीं हो सकती इसलिये जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर देने चाहिए, ताकि किसानों को मदद मिल सके।