रालोद ने बनाया गेंदालाल को प्रत्याशी
जागरण संवाददाता, हाथरस : बसपा से टिकट कटने और फिर निष्कासन के बाद हाथरस से सि¨टग विधायक चौ. गेंदा
जागरण संवाददाता, हाथरस : बसपा से टिकट कटने और फिर निष्कासन के बाद हाथरस से सि¨टग विधायक चौ. गेंदालाल ने पहले भाजपा का दामन थामा और वहां से टिकट पाने की जुगत की, मगर कामयाबी नहीं मिली तो वे रालोद मुखिया चौ. अजित ¨सह की शरण में पहुंच गए। चौ. अजित ¨सह ने सोमवार को रालोद से उन्हें हाथरस का प्रत्याशी घोषित कर दिया।
चौ. गेंदालाल ने बसपा की टिकट पर पहला चुनाव वर्ष 2007 में सासनी (सुरक्षित) क्षेत्र से लड़ा था। वर्ष 2012 के चुनाव से पूर्व नए परिसीमन में सासनी क्षेत्र समाप्त कर इसका बड़ा हिस्सा हाथरस व कुछ हिस्सा सिकंदराराऊ में शामिल कर दिया गया। हाथरस सीट को भी सामान्य से सुरक्षित कर दिया गया तो गेंदालाल दूसरी बार बसपा की टिकट पर हाथरस से चुनाव लड़े और फिर से चुनकर विधानसभा पहुंचे। वे तीसरी बार चुनाव की तैयारी कर रहे थे कि अक्टूबर-16 में उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती ने यकायक झटका दे दिया। उन्होंने चुनाव लड़ाने की मना करते हुए उनके स्थान पर ब्रजमोहन राही को हरी झंडी दे दी। इससे आहत चौ. गेंदालाल शुरू में तो शांत रहे, मगर करीब सवा माह बाद उन्होंने बगावती तेवर दिखाने शुरू किए। ऐसे में नवंबर-16 के अंत में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। तब गेंदालाल ने भाजपा से तार जोड़ने शुरू किए और दिसंबर के पहले सप्ताह में ही लखनऊ पहुंचकर भाजपा में शामिल हो गए। उस वक्त उन्होंने कहा यही था कि वे बगैर किसी शर्त के भाजपा में शामिल हुए हैं और निष्ठावान सिपाही की तरह इसी पार्टी में काम करेंगे। इस सबके बावजूद उनके तेवर साफ लग रहे थे कि बसपा को सबक सिखाने के लिए वे चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत हैं। यही कारण रहा कि हाथरस से भाजपा प्रत्याशी बनने के लिए जमकर जुगत की, मगर कामयाबी नहीं मिली। चुनाव लड़ने के इरादे से उन्होंने सादाबाद व हाथरस से चुनाव लड़ने के लिए निर्दलीय के रूप में नामांकन पत्र भी शनिवार को खरीद लिए थे। उन्होंने ऐसी पार्टी तलाशनी शुरू की जो उन्हें टिकट दे दे। ऐसे में रालोद में उनकी जुगाड़ फिट हो गई और पार्टी मुखिया चौ. अजित ¨सह ने उन्हें सोमवार को हाथरस से प्रत्याशी घोषित कर दिया। चौ. गेंदालाल का कहना है कि वे मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
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