'मजहबी आजादी में दखल ठीक नहीं'
जागरण संवाददाता, हाथरस : तीन तलाक पर हाईकोर्ट की टिप्पणी को लेकर यहां मुस्लिम धर्मगुरु व इस्लामिक
जागरण संवाददाता, हाथरस : तीन तलाक पर हाईकोर्ट की टिप्पणी को लेकर यहां मुस्लिम धर्मगुरु व इस्लामिक संगठन असंतुष्ट ही दिखे। बोले, हम भारतीय हैं और भारत के संविधान का सम्मान करते हैं। मगर, तीन तलाक का मामला उनका मजहबी है। मजहबी आजादी भारतीय संविधान में भी सबको दी गई है। सो, इसमें किसी का दखल ठीक नहीं है।
तीन तलाक के मुददे पर हाईकोर्ट ने गुरुवार को कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे असंवैधानिक बताया है। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी पर्सनल ला संविधान से ऊपर नहीं है। अदालत ने दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दो टूक कहा है कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है।
इनका कहना है
मुल्क के संविधान का हम तहे दिल से सम्मान करते हैं। तीन तलाक का मामला पूरी तरह से मजहबी है। अब कुछ लोग जातीय तौर पर इसका विरोध जरूर कर रहे हैं। हम मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के मातहत हैं और उसी के फैसले को अमल में लाएंगे।
-मुहम्मद इमरान कासमी, जिला मुफ्ती।
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कोई भी सच्चा मुसलमान कुरान शरीफ व हदीस से इतर नहीं जा सकता है। भारतीय संविधान का सम्मान करते हैं, पर हाईकोर्ट की इस दलील से कतई सहमत नहीं हैं कि कुरान में तीन तलाक को अच्छा नहीं माना गया है। पर्सनल लॉ बोर्ड के फतवे भारत में ही नहीं, इस्लामिक देशों में माने जाते हैं।
- हाजी सलीम, शहर काजी।
तीन तलाक कुरान व हदीस के मुताबिक है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कुरान व हदीस के मुताबिक ही चलता है। इससे अलग हटकर यह भी कोई फतवा जारी नहीं करता। इसलिए इसके फैसले मुसलमानों में सर्वमान्य होते हैं। मजहबी मामले में दखलदांजी ठीक नहीं है।
हाजी रिजवान अहमद कुरैशी, सदर मुस्लिम इंतजामिया कमेटी।
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कुरान हमारी आसमानी किताब है। कुरान के मुताबिक तीन तलाक जायज है और सच्चा मुसलमान कभी कुरान से इतर नहीं जा सकता। पर्सनल लॉ बोर्ड के हर फैसले कुरान व हदीस की रोशनी में होते हैं। उससे हटकर कोई फतवा जारी नहीं हो सकता है।
डॉ. रईस अहमद अब्बासी
सदर, आल इंडिया शेख जमीतुल अब्बास कमेटी।
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