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दो साल में नहीं बना एक भी शौचालय

फोटो- 5 से 11 तक कैप-नगर निकाय क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय भी अनदेखी के शिकार क्रासर- -प्रध

By Edited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 01:01 AM (IST)
दो साल में नहीं बना एक भी शौचालय

फोटो- 5 से 11 तक

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कैप-नगर निकाय क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय भी अनदेखी के शिकार

क्रासर-

-प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया था शौचालयों के निर्माण पर जोर

-सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय की तो अभी कार्ययोजना ही नहीं

-इच्छा शक्ति के अभाव में परवान नहीं चढ़ रहा स्वच्छ भारत मिशन

सेपरेट इन्ट्रो-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो साल पहले स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की। तीन श्रेणियों में शौचालय बनाने पर जोर दिया। उम्मीद थी कि अब शहर की भी तस्वीर बदलेगी। लोगों को खुले में शौच को नहीं जाना पड़ेगा। घर-घर शौचालय बनेंगे। जहां जगह नहीं होगी, वहां सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय बनेंगे, लेकिन दो साल में अभी तक कुछ नहीं हुआ है। शौचालयों को अभी स्वीकृति ही मिली है। उनके निर्माण हेतु खातों में धन तक नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में निर्माण की बात बहुत दूर है।

जागरण संवाददाता, हाथरस : स्वच्छ भारत मिशन को चालू हुए दो साल बीत गया है लेकिन हमारे शहर के अधिकारी अभी तक सोए हुए हैं। जहां शौचालयों का निर्माण हो जाना चाहिए था, वहां अभी तक आवेदकों के खातों में धन ही नहीं पहुंचा है। ऐसे में आप ही सोचिए कि इस मिशन को कैसे पूरा किया जा सकेगा। शहर में जो सार्वजनिक शौचालय हैं भी, वे बदहाल व जर्जर हालत में है। इसमें से लोग वहां जाने से कतराते हैं।

शहर में तालाब चौराहा, पुरानी कलक्ट्रेट, बस स्टैंड, खंदारी गढ़ी मोहल्ला कर्र, ढकपुरा रोड, मेला परिसर आदि स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय हैं। मोहल्ला खंदारी गढ़ी का शौचालय तो चालू ही नहीं हो सका है। माया टाकीज के पास वाले का निर्माण अधर में छोड़कर ठेकेदार चला गया। ऐसे में वहां पर चौकीदार का परिवार ही रह रहा है। दूसरी ओर ढकपुरा रोड के यदि शौचालयों पर नजर डाली जाए तो वह भी जर्जर हालत में हैं। बात यदि अब घर-घर शौचालयों की करें तो अभी इसमें समय लगेगा, क्योंकि नगर पालिका ने दो साल में सिर्फ 243 लोगों के आवेदन को स्वीकृति प्रदान की है। अभी इनको स्वीकृति फार्म तक नहीं बंटे हैं, क्योंकि जिन अधिकारियों के कंधे पर इनका बोझ है वह ज्यादा बिजी हैं और इस कार्य को तवज्जो भी नहीं दे रहे हैं।

निर्माण कब शुरू होगा कोई पता नहीं। बात सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों की करें तो धरातल पर इनके हिस्से कुछ भी नहीं है। ऐसे में इनके निर्माण की बात करना भी बेमानी होगा।

व्यस्त लोगों पर मिशन

प्रधानमंत्री का मिशन 'स्वच्छ भारत' जरूरी सबके लिए है, मगर चिंता सिरे से नदारद है। पालिका की ओर से जर्जर हो चुके वाहन, बेकार खड़े वाहन व दीवारों पर 'स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत' का नारा लिखकर कर्तव्य पूरा मान लिया गया। इस मिशन को जिन कंधों पर ढोना था, वे पहले से ही लादे गए काम के बोझ से दबे हुए हैं। उन्हें प्रधानमंत्री के इस वरीयता वाले क्रम की ओर ध्यान देने की फुरसत ही नहीं है। पालिका के अधिकारियों को तो इस मिशन की समीक्षा करने तक की फुरसत नहीं है?

मिशन के तहत स्वीकृत शौचालय

निकाय स्वीकृत धनराशि

हाथरस 243 9.72 लाख

सिकंदराराऊ 180 7.20 लाख

हसायन 06 24 हजार

पुरदिलनगर 21 84 हजार

मुरसान 378 15.12 लाख

सादाबाद 330 13.20 लाख

सहपऊ 423 16.92 लाख

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इनका कहना है-

शहर में शुष्क शौचालयों के लिए कुल 7225 आवेदन आए थे, जिनमें से 1204 सत्यापित करते हुए 243 शौचालयों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। साथ ही पहली किस्त के रूप में 9.72 लाख रुपये मिल गये हैं, जिसे आवदेकों के खाते में भेजा जा रहा है, ताकि वह उस पर निर्माण शुरू करा सके।

-बालकृष्ण कुम्हेरिया, ईओ।

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प्रत्येक शौचालय के निर्माण के लिए आठ हजार रुपये प्रदेश व केन्द्र सरकार देगी। इसकी पहली किस्त के रूप में दो-दो यानि कि चार हजार रुपये आ गये हैं। उसे वितरित कराया जा रहा है। सार्वजनिक शौचालयों की दशाओं के सुधार पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है, ताकि लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो सके।

-डॉली माहौर, पालिकाध्यक्ष।

पब्लिक की पीड़ा

आज के हालात में शौचालयों की महती आवश्यकता है। इसके लिए आवेदन भी जमा कराए थे, लेकिन निर्माण कब शुरू होगा और यह कब तक पूरे होंगे इस बारे में कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।

राजेश कुमार।

शौचालय के निर्माण के लिए मै पालिका के चक्कर लगा लगाकर परेशान हो गया हूं। एक तरफ प्रधानमंत्री कुछ कहते हैं तो दूसरी ओर पालिका के अधिकारी कुछ। पता नहीं इस देश का क्या होगा।

गिरीश कुमार।

प्रधानमंत्री ने जो अभियान चलाया उसे छोड़ो, पालिका ने जो पूर्व में शौचालय बनवाए हैं उनकी भी देखभाल ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है। सफाई तक के कोई प्रावधान नहीं हैं, निर्माण बहुत दूर है।

गोपाल।


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