पब्लिक की मेहनत पर पिघले भगवान
संवाद सहयोगी, हाथरस : हालांकि अभी तक जिले में मानसून पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है, फिर भी सासनी व
संवाद सहयोगी, हाथरस : हालांकि अभी तक जिले में मानसून पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है, फिर भी सासनी व मुरसान क्षेत्र में मंगलवार को हुई बारिश से हाल ही में खुदे पोखरों में पानी पहुंचने लगा है। तालाब-पोखर अभी लबालब तो नहीं हुए हैं, मगर ऐसा लग रहा है कि पब्लिक की मेहनत और प्यासे पोखरों पर भगवान भी मेहरबान हैं। इससे पोखरों के दिन बहुरने की उम्मीद जागी है। जून में दैनिक जागरण के प्रयासों से मनरेगा की छलांग ने जनपद के अधिकारियों को गद्गद कर दिया है। 2.36 लाख मानव दिवस सृजित कर इतिहास रचा जा चुका है, जबकि जून का लक्ष्य महज 32 हजार था।
दैनिक जागरण के प्रयासों ने जिले में मनरेगा का महत्व बढ़ा दिया। नौ मई से दैनिक जागरण ने 'तलाश तालाबों की' मुहिम का श्रीगणेश किया तो मुख्य मकसद तालाबों का जीर्णोद्धार था, लेकिन अभियान के दौरान जिला प्रशासन व ग्राम्य विकास विभाग ने भी मुहिम छेड़ी तो 207 पोखरों का कायाकल्प हो गया। प्रशासन का अभियान अपने अंतिम पड़ाव पर है। ज्यादातर पोखर तालाबों की खोदाई पूरी हो चुकी है। इस दौरान जिले में नए तालाब भी खोदे गए हैं। अब काम समाप्ति की ओर है। ऐसे में अभियान के दौरान तैयार किए गए तालाब पोखरों में पानी लाने पर पूरा जोर है। हालांकि जिले में पर्याप्त बरसात नहीं हुई है, लेकिन मंगलवार को सासनी, मुरसान आदि कई ब्लाकों में झमाझम बारिश हुई। जिससे पोखरों में थोड़ा बहुत पानी पहुंचने से ही रौनक नजर आने लगी। पोखरों में बरसात का पानी पहुंचाने का इंतजाम पहले ही कर दिया गया था। कई प्रधानों ने अन्य श्रोतों से पोखर व रजबहों से अपनी पोखरों में पानी पहुंचा दिया है, जिससे कई पोखरों में पानी नजर आने लगा है। सहपऊ व सादाबाद की कई पोखरें पानी भरने से पशुओं व जलश्रोत बढ़ाने में कारगर सिद्ध हो रही हैं।
इनसेट-
मजदूरों का 110.75 लाख
रुपये का भुगतान अटका
हाथरस : मनरेगा से तालाब पोखर सहित तमाम कार्य कराए जाने के बाद खंड विकास अधिकारी इन मजदूरों के भुगतान कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इससे मजदूर काम करने के बाद भी भुगतान को भटक रहे हैं। इसी वित्तीय वर्ष में मजदूरों की मस्टररोल हाजिरी फीड किए जाने के बाद 110.75 लाख रुपये पाइप लाइन में फंसा हुआ है, क्योंकि खंड विकास अधिकारी मनरेगा में कार्यक्रम अधिकारी हैं और मॉडम उनके पास है। ऐसे में वह भुगतान की स्वीकृति दें तो केंद्र सरकार की वेबसाइट से सीधे भुगतान मजदूरों के खातों में पहुंच जायेगा, लेकिन बीडीओ मनरेगा को फिसड्डी करने के लिए इस कार्य में लापरवाही बरत रहे हैं।
पिछले वर्ष का भी
अटका है भुगतान
हाथरस : मनरेगा एक्ट का मुख्य मकसद ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी देना है, लेकिन भुगतान की दिक्कतें उनका पीछा नहीं छोड़ रही हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष के तीन माह गुजर जाने के बाद भी मजदूरों की मजदूरी व मैटेरियल का भुगतान अटका हुआ है। गत वित्तीय वर्ष का 39.50 लाख रुपये का लेबर भुगतान व 11.31 लाख रुपये का मैटेरियल का भुगतान अभी तक अटका हुआ है।
मनरेगा का आज का स्टेटस
ग्राम पंचायतें जहां चल रहा काम : 185
कुल कराए जा रहे कार्य : 233
सृजित मानव दिवस : 6,722
जून में सृजित मानव दिवस : 2,36,053
वित्तीय वर्ष में सृजित मानव दिवस : 4,12,692
इनका कहना है.
दैनिक जागरण की पहल ने जिले में मनरेगा को नई संजीवनी दी है। लक्ष्य से काफी पीछे रहने वाला जिला अब लक्ष्य से काफी आगे चल रहा है। इस वित्तीय वर्ष में जून तक हमने जनवरी 2017 तक का लक्ष्य हासिल कर लिया है। यह इतिहास रचने जैसा है। कराए जाने वाले कार्यों की फी¨डग भी तेजी से चल रही है। फी¨डग के लिहाज से भी देखा जाए तो अगस्त तक का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। कार्यों में और तेजी लाने के प्रयास चल रहे हैं, ताकि पूरे वर्ष का लक्ष्य जुलाई माह में पूरा कर लिया जाए।
-सैयद जावेद अख्तर जैदी, मुख्य विकास अधिकारी।