रिलीविंग के बाद जरीना की वापसी के मायने
संवाद सहयोगी, हाथरस : निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार के आदेश के क्रम में यहां तैनात रहीं सीडीपीओ
संवाद सहयोगी, हाथरस : निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार के आदेश के क्रम में यहां तैनात रहीं सीडीपीओ को यहां से रिलीव कर दिया गया। लेकिन उन्होंने आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट से स्थगनादेश लेने के बाद बिना निदेशक की अनुमति लिए यहां आमद को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उनकी यहां तैनाती न होने से मुख्य विकास अधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी कक्ष में ताला डलवा दिया है। वहीं डीपीओ के लिए आवंटित की गई सरकारी जीप को जिला ग्राम्य विकास अभिकरण से संबद्ध कर दिया है, लेकिन जरीना स्वयं के संसाधनों से कार्यालय पहुंचकर खुद को डीपीओ दर्शा रही हैं जबकि शासन ने हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में अभी तक उनकी यहां तैनाती नहीं की है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी जरीना बेगम की निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार आनंद कुमार ¨सह ने गत वर्ष यहां तैनाती की थी। उन्होंने 22 जुलाई को यहां आकर चार्ज लिया था, लेकिन अपने खिलाफ प्रचलित जांच के तथ्यों को छिपाते हुए प्रभारी डीपीओ का चार्ज ले लिया था। उनकी तैनाती व कार्य को लेकर तमाम सवाल खड़े हुए तो यहां तैनात जिलाधिकारियों शमीम अहमद खान, अबरार अहमद व अविनाश कृष्ण ¨सह ने उनके खिलाफ शासन को डीओ लेटर भेजकर उन्हें अन्यत्र ट्रांसफर किए जाने की मांग की। इसी आधार पर निदेशक ने 8 जून को उनका ट्रांसफर मैनपुरी के लिए कर दिया। जरीना ने 14 जून को मैनपुरी में योगदान देते हुए अवकाश ले लिया और उन्हें हाथरस से हटाए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट दायर की, जिसमें 24 जून को स्थगनादेश मिल गया। इसके बाद वे सीधे हाथरस पहुंच गईं और 27 जून को कोर्ट के स्टे के साथ योगदान देने के लिए सीडीओ के समक्ष दावा किया। स्थगनादेश में निदेशक के ट्रांसफर आदेश को स्टे किया गया है, जबकि उन्हें इस जनपद से रिलीव किया जा चुका है। ऐसे में निदेशक का आदेश मिलने के बाद ही तैनाती दी जा सकती है, लेकिन वह प्रभारी डीपीओ की हैसियत से जिले में आ गई हैं। इसे लेकर मुख्य विकास अधिकारी ने निदेशक से निर्देश मांगे हैं। तब तक उन्हें यहां आमद नहीं मिल सकी है। इससे पूर्व उनके द्वारा प्रभारी डीपीओ योगेंद्र से गाड़ी मांगे जाने पर गाड़ी को डीआरडीए से संबद्ध कर दिया है। वहीं डीपीओ कार्यालय पर ताला जड़ दिया गया है। मजेदार पहलू यह है कि जब निदेशक के आदेश को चुनौती दी गई है, तो निदेशक स्तर से ही आगे की कार्रवाई की जानी है। ऐसे में जिले में योगदान का कोई औचित्य नहीं बनता है।
इनका कहना है.
जरीना बेगम की तैनाती यहां सीडीपीओ के पद पर हुई थी। इसी पद से उन्हें कार्यमुक्त किया गया है। वर्तमान में वह मैनपुरी में तैनात हैं। अगर कोर्ट से स्टे लिया है तो निदेशक उनकी यहां पर तैनाती करेंगे। तभी यहां योगदान कराया जायेगा। रही डीपीओ के पद की तैनाती की बात तो यह अधिकारी जिलाधिकारी का है। उनके खिलाफ पूर्व में शासन में कार्रवाई प्रस्तावित है। इसके लिए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जो उन्हें आज तक नहीं मिला है। अब निदेशक से राय ली जा रही है। जब निदेशक का जरीना की यहां तैनाती का आदेश मिलेगा तो ही ज्वा¨नग दी जायेगी।
-सैयद जावेद अख्तर जैदी, मुख्य विकास अधिकारी।