लखीमपुर खीरी प्रकरण में मांगा जवाब
संवाद सहयोगी, हाथरस : जिले में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में तैनात प्रभारी जिला कार्यक्रम अधि
संवाद सहयोगी, हाथरस : जिले में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में तैनात प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी को लखीमपुरखीरी में तैनाती के दौरान अनियमितताओं के मामले में निदेशक बाल विकास ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। यह नोटिस मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से रिसीव कराया गया है, जबकि मैडम ने वहां पर उनके खिलाफ कोई शिकायत न होने जवाब सीडीओ को दिया था।
प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी जरीना बेगम पर अपने खिलाफ लंबित जांच के चलते अफसरों को गुमराह कर पद हथियाने का आरोप लगा था। शासनादेश के अनुरूप उनसे कनिष्ठ वरिष्ठतम सीडीपीओ को प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी का चार्ज देने की मांग की गई थी। शिकायत पर परिवहन मंत्री ने अपनी टिप्पणी अंकित करते हुए इसके साक्ष्य भी उपलब्ध कराए थे, जिसमें शासनादेश की प्रतियां व उनके निलंबन के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा स्थगनादेश के बाद उनकी बहाली का निदेशक बाल विकास का पत्र भी लगाया गया था। अब निदेशक ने इस मामले में उनका जवाब तलब करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस सीडीओ के माध्यम से मैडम को रिसीव कराया गया है, जिसमे आरोप है कि उन्होंने लखीमपुर खीरी में तैनाती के दौरान अपनी आवंटित बाल विकास परियोजना में आंगनबाड़ी बाल केंद्रों में पके पकाए भोजन की आपूर्ति करने वाली स्वयंसेवी संस्था वित्तीय नियमों तथा संगत शासनादेश व दिशा निर्देशों का अनुपालन न करते हुए अनियमित भुगतान किया। इस मामले में नोटिस मिलने के बाद अब इसका जवाब निदेशक को देना होगा।
सीडीओ के नोटिस
का नहीं दिया जवाब
क्रासर:-
-अफसरों को गुमराह कर पद हथियाने का मामला
संवाद सहयोगी, हाथरस : कर्मचारियों से अभद्रता व अफसरों को गुमराह कर प्रभारी डीपीओ के पद पर तैनाती के मामले में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब भी मैडम ने आज तक नहीं दिया है। अब सीडीओ ने पुन: जवाब देने के लिए रिमाइंडर जारी कर दिया है। इधर जिलाधिकारी ने भी इस मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए अपना डीओ लेटर शासन को भेजा है।
29 मार्च को परिवहन मंत्री के माध्यम से यहां तैनात प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी जरीना बेगम की शिकायत जिलाधिकारी से की गई थी, जिसमें उनके खिलाफ लखीमपुर खीरी में तैनाती के दौरान निलंबन व हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनकी बहाली के निदेशक के पत्र की छायाप्रति लगाई गई थी। जिसमें स्पष्ट लिखा गया था कि इनके खिलाफ प्रस्तावित कार्रवाई जारी रहेगी, जबकि शासनादेश में स्पष्ट व्यवस्था की गई है कि जिन सीडीपीओ के खिलाफ जांच प्रस्तावित है, उन्हें जिला कार्यक्रम अधिकारी का चार्ज नहीं दिया जा सकता। चाहे वह वरिष्ठता क्रम में ऊपर क्यों न हों। उनके निकटस्थ सीडीपीओ को ही यह चार्ज दिया जा सकता है, लेकिन यहां तैनाती के दौरान खुद को जिले की सबसे वरिष्ठ सीडीपीओ दर्शाते हुए जरीना बेगम ने डीपीओ का अतिरिक्त प्रभार ले लिया था। अब शिकायत के बाद अधिकारी सचेत हो गए तो उन्होंने मैडम का स्पष्टीकरण तलब करने को नोटिस जारी कर दिया, लेकिन मैडम ने जो जवाब दाखिल किया तो उससे सीडीओ सहमत नहीं हुए और फिर से ¨बदुवार नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा। मैडम ने इसका कोई जवाब नहीं दिया है। अब इसे लेकर पुन: रिमाइंडर जारी किया है। इधर पूरे प्रकरण के संज्ञान के बाद जिलाधिकारी ने शासन को डीओ लेटर जारी कर इन्हें हटाने की मांग की है।
बदले की भावना से की कार्रवाई रोकी
हाथरस : जिला कार्यक्रम अधिकारी के अभद्र व असंसदीय शब्दों के प्रयोग किए जाने से आहत सुपरवाइजर व कर्मचारियों ने एकत्रित होकर जिलाधिकारी को शिकायत की तो इन कर्मचारियों के उत्पीड़न शुरू हो गए थे। इनके खिलाफ स्पष्टीकरण, ट्रांसफर आदि की कार्रवाइयों को मुख्य विकास अधिकारी ने रोक दिया है। दो अप्रैल को कई कर्मचारी व सुपरवाइजर ने जिलाधिकारी को हस्ताक्षरयुक्त शिकायती पत्र दिया था, जिसमें उत्पीड़नात्मक कार्रवाई, अभद्रता व गाली गलौज आदि के संगीन आरोप लगाए थे। इसकी जांच के आदेश जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को दिए थे, जिसमें कर्मचारियों ने अपने बयान भी दर्ज करा दिए थे। इस मामले में डीपीओ ने शपथ पत्र दिए जाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था। जिस कर्मचारी व सुपरवाइजर ने विरोध किया, उनके खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई शुरू हो गई, जिसमें सादाबाद में तैनात बाबू महावीर ¨सह को सिकंदराराऊ ट्रांसफर कर दिया गया है। सासनी की प्रभारी सीडीपीओ रेखा शर्मा को नोटिस जारी कर दिया। सादाबाद के सीडीपीओ को नोटिस जारी कर दिया। इसके अलावा वेतन रोकने व वेतन काटने जैसी कार्रवाइयां भी की गई हैं। इस मामले में सीडीओ सैयद जावेद अख्तर जैदी ने कड़ा रुख अपनाते उनके संज्ञान में लाए बिना 2 अप्रैल के बाद किए गए सभी ट्रांसफर आदेश निरस्त कर दिए हैं। इसके साथ ही बिना कर्मचारी को सुने की गई कार्रवाइयों को भी गलत ठहराया है।