नो एंट्री ताक पर, शहर में जाम ही जाम
संवाद सहयोगी, हाथरस : प्रभावी ट्रैफिक व्यवस्था लागू न होने से शहर के हालात बद से बदतर होते जा रहे है
संवाद सहयोगी, हाथरस : प्रभावी ट्रैफिक व्यवस्था लागू न होने से शहर के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। आलम यह है कि शहर के बाजारों से पैदल निकलना भी मुमकिन नहीं हो पाता। इसकी मुख्य वजह है शहर में बड़े वाहनों का प्रवेश। लो¨डग -अनलो¨डग के कारण बाजारों में जबरदस्त जाम रहता है। प्रशासन नो एंट्री सिस्टम का पालन कराने में नाकाम साबित हो रहा है।
तालाब चौराहे पर जाम लगने की वजह समझ में आती है। ओवरब्रिज न होने तथा हर घंटे ट्रेन गुजरने के कारण जाम की स्थिति पैदा होती है। पर शहर के बाजारों में ऐसी क्या वजह है कि यहां लोगों को जाम से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है? काफी पुरानी इमारतें होने के कारण सड़कों का चौड़ीकरण तो संभव नहीं, पर योजनाबद्ध तरीके से यदि ट्रैफिक का संचालन हो तो जाम की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। तत्कालीन डीएम सूर्यपाल गंगवार ने दो साल पहले शहर में नो एंट्री सिस्टम लागू कराया था। शहर में प्रवेश के प्रत्येक स्थान पर नो एंट्री के बोर्ड लगाए गए तथा ट्रैफिक व सिविल पुलिस को इस बाबत निर्देशित भी किया गया। कुछ दिन ही यह सिस्टम प्रभावी रहा। बाद में धीरे-धीरे स्थिति जस की तस हो गई। गुड़हाई, नजिहाई, मोहनगंज आदि बाजारों में दिन में लो¨डग-अनलो¨डग होती है। सड़क पर ट्रक, मेटाडोर व घोड़ा गाड़ी के खड़े होने के कारण राहगीरों का निकलना मुश्किल हो जाता है। आए दिन जाम लगता है तथा इस जाम के दौरान अकसर लोगों की नोकझोंक भी होती है। कभी-कभार नौबत मारपीट तक पहुंच जाती है।
सबसे अधिक गुड़हाई बाजार का बुरा हाल है। यहां के व्यापारियों की मनमानी के कारण दिन भर जाम लगा रहता है, जबकि प्रशासन के साफ निर्देश हैं कि सुबह नौ से रात नौ बजे तक बड़े वाहन शहर में प्रवेश नहीं कर सकते, लो¨डग व अनलो¨डग तो दूर की बात। गुरुवार को भी इस कारण शहर के प्रमुख बाजारों में जाम लगा रहा। बांस मंडी चौराहे पर जाम को खुलवाने के लिए कोतवाली पुलिस को लगाना पड़ा। घंटाघर, नजिहाई व गुड़हाई बाजार में भी दिन भर जाम रहा। प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर में नो एंट्री सिस्टम प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पा रहा।