स्मार्ट बनना है तो हर बात हो उजागर
नीरज सौंखिया, हाथरस हम स्मार्ट सिटी के वा¨शदे तभी कहलाएंगे जब खुद अपने तौर-तीरीके स्मार्ट करें
नीरज सौंखिया, हाथरस
हम स्मार्ट सिटी के वा¨शदे तभी कहलाएंगे जब खुद अपने तौर-तीरीके स्मार्ट करेंगे। इसके लिए पालिका में पहल चल रही है। निर्वाचित नगर प्रतिनिधियों (सभासदों) के तीन साल के अंतराल में पारित विकास संबंधी प्रस्तावों का पूरा मैनुअल ब्योरा तैयार है। पालिका की खुद की जैसे ही वेबसाइट बन जाएगी इस पूरे ब्योरे को उस पर अपलोड करने की रणनीति बन चुकी है। इससे लोगों को पूरी जानकारी हो सकेगी कि उन्होंने जिसे अपना प्रतिनिधि चुना था उसने अब तक उसके लिए क्या किया। किस तरह के प्रस्ताव रखे और पालिका प्रशासन ने उनपर कितना अमल किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देश के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने पर पूरा जोर है। इसके लिए हमारा शहर भी तैयार है। पालिका में अपनी वेबसाइट तैयार कराने के साथ ही कर्मचारियों को भी दक्ष किया जा रहा है। नगर पालिका क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों को तो आनलाइन किया जा रहा है, वहीं प्रयास ये भी किये जा रहे हैं कि पालिका के जो भी सभासद हैं, उन्होंने तीन साल के अंतराल में क्षेत्र के विकास के लिए जो भी प्रस्ताव दिए उन्हें भी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। उन प्रस्तावों पर क्या कार्रवाई हुई, यह भी लोगों को वेबसाइट के जरिए पता चल सके। इसके लिए मैनुअल ब्योरा भी तैयार हो चुका है। इसमें ज्यादातर पारित प्रस्ताव हैंडपंप लगवाने, सड़क बनवाने या फिर स्ट्रीट लाइट लगवाने के साथ ही सफाई व्यवस्था से संबंधित हैं। इनसे इतर भी कई ऐसे प्रस्ताव हैं जो जनहित और शहर हित में हैं। सभासद प्रशांत शर्मा ने शहर की शान घंटाघर के सुंदरीकरण और शहर में बंदरों के आतंक को समाप्त करते हुए उन्हें पकड़वाने का प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में रखा था। यह प्रस्ताव पारित भी हो चुके हैं। इस पर अब कार्रवाई की जा रही है। इतना ही नहीं शहर की सीमा के विस्तार का मामला भी है।
पालिका बोर्ड की होने वाली बैठकों में समस्याओं के निदान का मुद्दा भी उठता रहा है। इन मामलों की जानकारी भी आनलाइन करने की योजना है। पालिका की ओर से ये भी प्रयास किए जा रहे हैं कि जो भी जन प्रतिनिधियों के प्रस्ताव आए और उन पर जो कार्य योजना तैयार हो, वह भी सार्वजनिक की जाए।
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कल पढि़ए
स्मार्ट सिटी के अभियान के तहत दैनिक जागरण में सोमवार के अंक में हम बात करेंगे नगर निकाय में अपनी योजनाओं को तैयार करते समय वार्डवार नागरिकों के साथ किए गए परामर्श का तारीखवार ब्यौरा। कितने नागरिकों से विचार-विमर्श किया गया, इसका भी जिक्र होगा।
सिस्टम की सुनो
शहर के विकास के लिए जो भी योजना तैयार की जाती है, वह बोर्ड की बैठक के बाद ही तय होती है। जनता की कमाई का एक-एक रुपया विकास हित में ही खर्च होता है। इस खर्च को भी अब ऑनलाइन किया जा रहा है। इससे आम लोगों को पूरी जानकारी हो सकेगी कि कितना धन हमें मिला और कहां पर कितने धन से विकास कराया गया।
बालकृष्ण कुम्हेरिया, ईओ
नगर पालिका हाथरस।
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आपकी प्रतिक्रिया
स्मार्ट सिटी के लिए जरूरी है हमें अपने आप में बदलाव की। सरकारी तंत्र के भरोसे हम शहर को स्मार्ट नहीं बना सकते। हमें खुद भी अपने आप में परिवर्तन करते हुए तंत्र का साथ देना चाहिए।
अशोक बागला, व्यापारी।
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हमें स्मार्ट बनने के लिए अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहना होगा। पालिका ने अपने आप में काफी बदलाव किया है। यह खुशी की बात है। यह सिलसिला आगे बढ़ना चाहिए।
डंबर ¨सह, समाजसेवी।
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पालिका को शीघ्र ही अपनी वेबसाइट तैयार करते हुए उस पर सभी जानकारी ऑन लाइन करनी चाहिए। ताकि घर बैठे लोग ये जान सकें कि जनहित में पालिका क्या कार्य कर रही है।
बलवीर ¨सह वर्मा, व्यापारी।
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शहर को नीट एंड क्लीन बनाने का जिम्मा पालिका का है। पालिका द्वारा इस ओर क्या पहल की जा रही है, इस पर कितना धन प्रतिवर्ष खर्च किया जाता है, कितने संसाधन हैं, ये सब भी ऑन लाइन होना जरूरी है।
वीपी ¨सह।
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पालिका को कितना बजट मिला है और यह धन कब-कब कहां पर व्यय किया गया, यह सब जानकारी ऑन लाइन होना जरूरी है, जिससे आम आदमी अपने घर बैठे इस संबंध में पूरा ज्ञान अर्जित कर सके।
करुआ।
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स्मार्ट सिटी के लिए यह जरूरी है कि यहां के लोगों को पूरी जानकारी हो कि सरकारी संस्थाएं कहां क्या कर रही हैं। यह तभी संभव है जब पूरा ब्योरा आम जन तक पहुंचे। इनको छिपाना नहीं चाहिए।
सुमन वर्मा।
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पालिका के कदम अब पहले से काफी अधिक आगे बढ़े हैं। हर कार्य में पारदर्शिता पर पूरा जोर दिया जा रहा है। साथ ही एनआइसी पर भी टेंडर आदि डाले जा रहे हैं। वेबसाइड बनने पर और अधिक जानकारी मिलेगी।
भगवती पौरुष, एडवोकेट।
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पालिका को शहर के बाहरी क्षेत्र के विकास पर भी पूरा जोर देते हुए कार्य करना चाहिए। इसमें किसी प्रकार की अनदेखी न हो। तभी तो हम स्मार्ट सिटी की दौड़ में आगे बढ़ सकेंगे। स्मार्ट सिटी से विकास की गंगा और बहेगी।
देवेन्द्र पचौरी एडवोकेट।
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पालिका को जलकर व गृहकर में क्या अमदनी हो रही है और कितना लोगों पर बकाया है? इसे वसूलने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं? ये सब भी ऑन लाइन होना जरूरी है। इससे लोगों को पूरी जानकारी रहेगी कि हमारा शहर कहां तक आगे बढ़ा है।
लक्ष्मीकांत सारस्वत, एडवोकेट।
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पालिका द्वारा अपने संसाधन, कर्मचारियों का ब्यौरा, बजट और प्राप्त शिकायतों की संख्या उनके निस्तारण आदि की जानकारी आन लाइन करनी चाहिए। तभी तो लोगों को जानकारी हो सकेगी कि प्राप्त शिकायतों में से कितनों का निदान हुआ है।
ख्यालीराम।
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