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वाकई.. वह सफेद जहर था

जागरण संवाददाता, हाथरस : कृषि यंत्रों की आड़ में सादाबाद में बिक रहा सामान वाकई सफेद जहर ही था। यहां

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 06:38 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 06:38 PM (IST)

जागरण संवाददाता, हाथरस : कृषि यंत्रों की आड़ में सादाबाद में बिक रहा सामान वाकई सफेद जहर ही था। यहां से लिए गए रसायनिक तेल, ग्लूकोज, मिल्क पाउडर आदि के नमूने अधोमानक निकले हैं, जो स्वास्थ्य के लिए न केवल हानिकारक थे, बल्कि जानलेवा भी थे। वहीं, उधई व सिकन्दराराऊ में लिए गए दूध के नमूने भी अधोमानक पाए गए हैं। अब इनके खिलाफ अदालत में कार्रवाई की जा रही है।

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एफडीए की टीम ने डीओ चंदन पांडेय की अगुवाई में कृत्रिम दूध बनाने वाले और मिलावटी सामान की बिक्री करने वालों पर शिकंजा कसा, क्योंकि जिले में लगातार ¨सथेटिक दूध बनने की शिकायत मिल रही थी। 13 दिसंबर 2014 को इस टीम ने सादाबाद के गांव उधई में प्रदीप कुमार पुत्र राम किशन के यहां से दूध का नमूना लिया। उससे पूछताछ पर स्पष्ट हुआ कि वह दूध बनाने का सामान सादाबाद के ¨रकू की दुकान से लेता है। इस पर गजराज ¨सह व महावीर ¨सह प्रेमी (खाद्य सुरक्षा अधिकारी) ने जब दूधिया बनकर वहां पर छानबीन की तो सादाबाद की तिवारी मार्केट में यह मुन्ना कृषि यंत्र के नाम से दुकान निकली। यहां पर ग्लूकोज पाउडर, रिफाइंड, माल्ट्रोज, डिटर्जेंट, सिलेटी केमिकल, पोस्टर कलर, हाईड्रोजन पराक्साइड आदि मिला था। उनके नमूने लिए गए और जांच को भेजते हुए करीब तीन लाख रुपये के माल को सील किया था।

बुधवार को प्रयोगशाला से इन नमूनों की रिपोर्ट आयी तो दूध के नाम पर सफेद जहर का धंधा सामने आया। डीओ चंदन पांडेय ने बताया कि उधई के दूध में शुगर, कार्बोनेट के अलावा बीआर की मात्रा अधिक निकली है, जिससे जाहिर कि इसमें रिफाइंड तेल की मिलावट हो रही थी। वहीं ¨रकू की दुकान से सामान की रिपोर्ट भी फेल आई है। इसमें सल्फर टाईट्रेनियम व हाईड्रोजन पराक्साइड कैंसर की बीमारी को जन्म देती है। इन सभी के 9 नमूनों की रिपोर्ट अधोमानक पाई गई है। विभाग अब इनके खिलाफ अदालती कार्रवाई करने में जुट गया है।

ये है प्रावधान-

खाद्य सुरक्षा एक्ट की धारा 6 के तहत इसमें आजीवन कारावास या फिर दस लाख रुपये जुर्माना तक का प्रावधान है। इसमें कार्रवाई सीधे कोर्ट में की जाती है।

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पूर्व के नमूने भी फेल

सिकन्दराराऊ क्षेत्र में पूर्व में लिए गए नमूने भी फेल आए हैं। इससे स्पष्ट है कि हाथरस में ¨सथेटिक दूध बनाने का धंधा जोरों पर चल रहा था।

इनका कहना है-

नमूनों की रिपोर्ट फेल आई है। इसमें प्रयुक्त हो रहे पदार्थ स्वास्थ्य के लिए न केवल हानिकारक हैं बल्कि जानलेवा भी हैं। इनसे कैंसर आदि हो सकता है। अब कोर्ट में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

चंदन पांडेय, डीओ, खाद्य एवं सुरक्षा विभाग।

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प्रदेश में पहला स्थान

जिले में कृत्रिम दूध बनाने के मामले में हुई धरपकड़ के मामले में टीम ने काफी कुछ सामान बरामद किया। डीएम के निर्देशन में चली इस कार्रवाई में हाथरस जिले का पहला स्थान है।


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