कर्ज में डूबी समिति को कहां से मिली यूरिया
संवाद सहयोगी, हाथरस : सादाबाद में करोड़ों रुपये के कर्ज में डूबी सहकारी समिति बिसावर को इस बार यूरिया
संवाद सहयोगी, हाथरस : सादाबाद में करोड़ों रुपये के कर्ज में डूबी सहकारी समिति बिसावर को इस बार यूरिया का आवंटन नहीं किया गया मगर नये सचिव ने आते ही कारनामा कर दिखाया। कहीं से साठगांठ कर यूरिया हासिल कर लिया और किसानों को मनमाने दाम पर बेच कर भारी मुनाफा कमाया। अब ये समिति सवालों के घेरे में है।
बिसावर की सरकारी समिति पिछले चार वर्षो से निष्क्रिय रही है क्योंकि इस समिति पर करोड़ो रुपये का बकाया है। इस समिति के पूर्व सचिव सुखवीर ¨सह के खिलाफ जांच में करीब 65 लाख रुपये का गबन का खुलासा होने के बाद उन्हें निलंबित किया जा चुका है। आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से किसानों के नाम से खाद बेच दी और उसका पैसा समिति के खाते में जमा नहीं किया। बाद में सचिव ने क्षेत्र के सैकडों किसानों के नाम नोटिस भेज कर बकाया पैसा जमा करने को कहा जबकि किसानों ने कभी उधार खाद लिया ही नहीं था। आरसी जारी कर किसानों को परेशान किया गया।
कुछ दिन पहले समिति का नया सचिव अनिल कुमार को बनाया गया जिनके पास सहकारी समिति बेदई का भी चार्ज है।
बिसावर समिति डिफाल्टर है इसलिए इस बार इस समिति को पीसीएफ गोदाम से एक बोरी यूरिया भी नहीं मिला। कहा जाता है कि नए सचिव ने कहीं से जुगाड़ कर यूरिया प्राप्त कर ली और 350 रुपये के हिसाब से किसानों को बेची। कुछ लोग इस खाद को नकली भी बता रहे हैं।
किसान भिक्की ¨सह फौजदार, हरि किशन चौधरी, ओमप्रकाश, दलवीर ¨सह आदि ने जिलाधिकारी से इस बात की जांच कराने की मांग की है कि इस समिति को यूरिया कहां से मिली, अगर नहीं मिली तो नकली यूरिया किसानों को बेच कर भारी मुनाफा कमाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
इनका कहना है
बिसावर सहकारी समिति पर करोड़ो का बकाया है, डिफाल्टर समिति को इस बार खाद नहीं दी गई है। अगर कहीं और से खाद लाकर बेची गई है तो इसकी जांच कराएंगे।
-राजेंद्र कुमार, सहायक निबंधक सहकारिता।