सलाखों के पीछे पहुंचा रामप्रसाद
संवाद सहयोगी, हाथरस : शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले का मुख्य सरगना रामप्रसाद सलाखों के पीछे पहुंच गया है। चोरी छिपे आरोपी ने जिला न्यायालय में सरेंडर कर दिया। न्यायालय ने रामप्रसाद को जेल भेज दिया है। शुक्रवार को क्राइम ब्रांच ने रामप्रसाद से जेल में पूछताछ की, जिसमें उसने कई अहम राज उगले हैं।
आठ अगस्त 2013 को जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में हुए 56 लाख के गबन में मुरसान कोतवाली में पांच बैंक कर्मी, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के निलंबित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामप्रसाद व प्रशांत प्रभाकर पुत्र रामप्रसाद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके बाद तीन सितंबर 2013 को जिला समाज कल्याण विभाग में शुल्क प्रतिपूर्ति के 20,71,669 रुपये गबन का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले में तत्कालीन सामाज कल्याण अधिकारी महिमा मिश्रा ने जांच के बाद छह सिंतबर को नौ लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें रामप्रसाद को नामजद किया गया था। इन मामलों की जांच कर रही क्राइम ब्रांच काफी दिनों से रामप्रसाद व प्रशांत प्रभाकर के पीछे थी। 10 मार्च 2013 को क्राइम ब्रांच ने दोनों के खिलाफ कुर्की का नोटिस चस्पा किया था। कुर्की की कार्रवाई से बचने के लिए 10 अप्रैल को रामप्रसाद ने जिला न्यायालय में समर्पण कर दिया। इस समर्पण की भनक किसी को नहीं लगने दी गई। फिलहाल रामप्रसाद अलीगढ़ जेल में बंद है।
रामप्रसाद के समर्पण की खबर से क्राइम ब्रांच भी हरकत में आ गई। कोर्ट से अनुमति लेने के बाद जांच अधिकारी निरीक्षक उम्मेद अली ने जेल में रामप्रसाद के बयान दर्ज किए। उम्मेद अली के अनुसार रामप्रसाद ने घोटालों से संबंधित कई अहम राज उगले हैं, जिनसे चौंकाने वाले खुलासे होंगे। रामप्रसाद ने बाउचर पर अपने हस्ताक्षर होने की बात कबूली है। उसने नारायण हरी शुक्ला का भी नाम लिया है, जिसे मुरसान पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। रामप्रसाद व नारायण हरी शुक्ला के जेल पहुंचने को क्राइम ब्रांच बड़ी सफलता मान रही है।