Move to Jagran APP

महासमर-सियासी समर में दल-बदल के वार

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 01:25 AM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 01:25 AM (IST)
महासमर-सियासी समर में दल-बदल के वार

जागरण संवाददाता, हाथरस : सियासी समर में अब दल-बदल के वार शुरू हो चुके हैं। कहीं अहम टकरा रहे हैं तो कहीं स्वार्थ आड़े आ रहे हैं। धुरंधरों को तोड़ने के लिए तो सियासी सूरमा मोहपाश फेंक रहे हैं मगर कुछ मौसमी नेता स्वार्थपूर्ति के लिए खुद ही पाला बदल रहे हैं। इस सब के चलते चुनावी टेंपरेचर अब ताव खा रहा है।

loksabha election banner

चुनावी संग्राम में अब तक तो जनसंपर्क और सभाओं के माध्यम से वोट बटोरने की कोशिश हो रही थी, मगर अब दल-बदल के वार शुरू कर दिए गए हैं। इसके लिए हर दल व्यूह रचना कर चुका है। कुछ धुरंधर तो स्वार्थपूर्ति न होने पर पाला बदल गए हैं तो कुछ मोहपाश में फंसकर। बुलंदशहर की सियासत में सक्रिय रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अशोक प्रधान भाजपा से यहां की टिकट मांग रहे थे। उन्हें टिकट नहीं मिली तो वे सपा में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने शहर में आकर एक झटका भी दिया। आए, स्वागत कराया और भाजपा में रहते जिन लोगों पर पांसे फेंककर उन्हें अपना करीबी बनाया था, उन्हें सपा में शामिल करा गए। इनमें हरीशंकर राना उर्फ भूरा पहलवान व मंजू पाली बघेल प्रमुख रहीं। इसी तरह रालोद की टिकट पर सिकंदराराऊ से विधानसभा का चुनाव लड़े ओमप्रकाश सिंह उर्फ पप्पू बघेल सत्ता के मोहपाश में फंसकर सपा के हो गए। बसपा के लिए काम कर रहे सिकंदराराऊ की पालिकाध्यक्ष के पति इकराम कुरैशी भी किसी न किसी मजबूरी में सपा से जुड़ गए। वैसे उन्होंने अपनी पत्नी के सपा में शामिल होने की घोषणा अभी तक नहीं की है। बसपा में भीतर-बाहर होते रहे आरपी सिंह एडवोकेट ने भी नानऊ चौराहे पर मुख्यमंत्री की सभा में साइकिल का हैंडल पकड़ लिया। इस दौरान ऐलान तो दिलीप प्रेमाकर और विजय प्रेमी के भी बसपा छोड़कर सपा में शामिल होने का किया जा रहा है, मगर हकीकत यह है कि वे पहले से ही साइकिल पर सवार थे।

इधर, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सेक्रेटरी सिंह यादव भी बुधवार को भगवा रंग में रंग गए और उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली। सादाबाद के चौ. सुरेंद्र सिंह उर्फ सूआ पहलवान जिन्होंने कभी सपा से रालोद का दामन थामा था और अब वे भाजपा के हो गए। इन दल-बदल करने वालों में देखा जाए तो कुछ तो प्रभावशाली हैं, मगर ज्यादातर ऐसे हैं जिनका खुद में ही कोई वजूद नहीं। जानकार बताते हैं कि कुछ तो ऐसे भी हैं जो हर चुनाव में दल-बदल कर अपने स्वार्थ पूरे करते हैं। उनके जब अपने दलों के प्रत्याशियों से स्वार्थ पूरे न हुए तो दूसरे का दामन थाम लिया। चुनाव बाद वे फिर कहीं और नजर आएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.