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भूमि व भवन की बिक्री हुई ठप

हरदोई, जागरण संवाददाता : नोट बंदी से भूमि-भवन की खरीद व बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है। नौ नवंबर से अब

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 06:31 PM (IST)
भूमि व भवन की बिक्री हुई ठप

हरदोई, जागरण संवाददाता : नोट बंदी से भूमि-भवन की खरीद व बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है। नौ नवंबर से अब तक रोजाना एक-दो बैनामा ही हो रहे हैं। वह भी ऐसे हैं जिनके स्टांप पहले खरीद कर रखे गए थे। अब तो काम पूरी तरह से ठप है। रजिस्ट्री कार्यालय में सन्नाटा है तो स्टांप विक्रेताओं को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। हालत यह है कि किसी तरह जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है।

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भूमि और मकान का बैनामा कराने के सर्किल रेट के हिसाब से स्टांप खरीदना पड़ता है। नोट बंदी के बाद ट्रेजरी कार्यालय में पुराने नोटों का चलन बंद हो गया इससे स्टांप की बिक्री ही नहीं हो पा रही है। इसके अलावा भूमि व भवन की बिक्री के समय मौके पर नकद लेनदेन करना होता था। यह लेनदेन 500 व 1000 के नोटों के माध्यम से ही होता था। नोट बंदी के बाद से यह भी बंद हो गया। इसलिए 9 नवंबर के बाद से रजिस्ट्री कार्यालयों में सन्नाटा है।

वसीयत कराने वाले बढ़ाते रौनक

वैसे तो कार्यालय में सन्नाटा रहता है लेकिन वसीयत कराने वालों से कुछ रौनक बढ़ जाती है। इसके अलावा गैस एजेंसी की निकली रिक्तियों में गोदाम व शोरूम के लिए स्थान मांगा गया है। इसके लिए भूमि व भवन का रजिस्टर्ड किरायानामा देना होता है। गोदाम के लिए भूमि व शोरूम के लिए भवन का किराया नामा व एग्रीमेंट कराने वाले अवश्य आ रहे हैं। इसमें नाममात्र का स्टांप लगता है।

ई-स्टां¨पग भी नहीं हो पायी सफल : भूमि व भवन के बैनामा के लिए ई-स्टां¨पग शुरू की गई थी । इसमें सर्किल रेट के हिसाब से बैंकों में धन जमा कर एक सार्टीफिकेट प्राप्त करना होता है। इस सार्टीफिकेट के आधार पर ही वाटर पेपर पर दस्तावेज लिखकर उसकी रजिस्ट्री हो जाती है पर लोगों के रुचि न लेने से ई-स्टां¨पग सफल नहीं हो पायी।

काम बदलने लगे दस्तावेज लेखक

: रजिस्ट्री को दस्तावेज तैयार करने के लाइसेंस प्राप्त दस्तावेज लेखक हर रजिस्ट्री कार्यालय में बैठते हैं। यह भूमि व भवन की लिखा पढ़ी करते हैं। यह इतने अनुभवी होते हैं कि खरीदार व बेचने वाला भूमि-भवन के प्रपत्र इनको सौंप देते हैं। उसके अनुसार दस्तावेज लेखक सर्किल रेट के हिसाब से कीमत निकाल कर दस्तावेज तैयार कर देते हैं। विभाग को इससे आसानी हो जाती है। उन्हें मामूली जांच के बाद इसके पास करने में परेशानी नहीं होती है लेकिन भूमि भवन की रजिस्ट्री बंद हो जाने से इन लोगों की आमदनी भी बंद हो गई है। यह लोग अब यह काम छोड़कर अन्य काम तलाशने लगे है।

कई हो गए बेरोजगार : रजिस्ट्री कार्यालय में बैनामा कराने में सीधे तो केवल विभाग व भूमि-भवन खरीदने व बेचने वाले नजर आते हैं लेकिन इससे कई लोगों को रोजगार मिलता है। जैसे प्रत्येक दस्तावेज लेखक के पास लगभग आधा दर्जन का स्टाफ रहता है। इसके अलावा स्टांप विक्रेता तो सीधे तौर पर इससे ही रोजगार पाते हैं। यह लोग भी बेरोजगार हो गए हैं।


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