एक कोशिश ने बदल दी जिंदगी
हरदोई, जागरण संवाददाता : अभी तक मुफलिसी व बीमारी से लड़ रही सफेदी को मानो अपने मिल गए हैं। दैनिक जाग
हरदोई, जागरण संवाददाता : अभी तक मुफलिसी व बीमारी से लड़ रही सफेदी को मानो अपने मिल गए हैं। दैनिक जागरण की कोशिश रंग लाई है और उसका इलाज होने के साथ ही मदद करने वालों का कारवां बढ़ता जा रहा है। वह अब न केवल पूरी तरह से स्वस्थ होगी बल्कि पढ़ लिखकर अपने पैरों पर भी खड़ी होगी। जिलाधिकारी विवेक वाष्र्णेय ने शनिवार को जिला अस्पताल पहुंचकर जानकारी ली और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद विद्यालय में प्रवेश कराने का निर्देश दिया। वहीं रेडक्रास सोसाइटी के पदाधिकारियों ने उसकी मदद की तो वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति की तरफ से भी उसे आर्थिक मदद दी गई।
सुरसा विकासखंड के कैरमैर निवासी सफेदी गरीबी और लाचारी से हार गई थी। वैसे उसके परिवार में कुछ लोग हैं लेकिन हालत ऐसी थी कि कोई मदद को आगे आता। बस एक बहन सुमन ही देखरेख कर रही थी पर बिना पैसे वह क्या कर सकती थी। दैनिक जागरण ने उसकी बीमारी और गरीबी का मुद्दा उठाते हुए सरकारी तंत्र को जगाया। दैनिक जागरण की मुहिम के बाद गुरुवार को वह जिला अस्पताल में भर्ती हो गई। शुक्रवार को उसकी मदद को काफी लोग आगे आए तो शनिवार को जिलाधिकारी ने हालचाल लिया और सीएमओ व सीएमएस को समुचित उपचार का आदेश दिया। डीएम ने बताया कि जब तक सही नहीं हो जाती उसे भर्ती रखा जाए और फिर घर पर भी पूरी तरह से फालोअप हो। डीएम ने कहा कि जब बेटी स्वस्थ हो जाए तो उसका कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में प्रवेश कराया जाए। वहीं डीएम ने अस्पताल में अन्य मरीजों से भी हालचाल लिया। दूसरी तरफ भारतीय रेडक्रास सोसाइटी के सभापति डा. रमेश अग्रवाल, उप सभापति नरेश गोयल, सचिव दुर्गेश दीक्षित ने अस्पताल पहुंच कर आर्थिक मदद के साथ गृहस्थी का पूरा सामान देकर आगे की भी मदद का आश्वासन दिया। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति ने तीन हजार रुपये और अन्य मदद की। संरक्षक बालकृष्ण गुप्ता, डा. बीएस पांडे, शिव कुमार मिश्रा, जीसी बाजपेई, एससी बाजपेई, एसपी त्रिपाठी और नरेश चंद्र शुक्ला मौजूद रहे।
दिल खोलकर दे रही दुआएं
बीमार सफेदी की लोग दिल खोलकर मदद करने लगे हैं। कभी दोनों बहनें सूनी आंखों से सभी को निहारती थी अब वह सभी को दिल से दुआ दे रही हैं। वैसे अभी उसे काफी मदद की दरकार है। शिक्षक शिक्षिकाओं ने जो नजीर पेश की है उसे लोग सलाम कर रहे हैं। पर्यावरण और जल संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले शिक्षक शिक्षिकाएं रोजाना शाम को उसकी देखरेख करने जाते हैं।