निखरने से पहले खत्म हो जाती प्रतिभा
हरदोई, जागरण संवाददाता : ओलंपिक व अन्य खेल प्रतियोगिताओं के समय लोग खिलाड़ियों से पदक की अपेक्षा रखते
हरदोई, जागरण संवाददाता : ओलंपिक व अन्य खेल प्रतियोगिताओं के समय लोग खिलाड़ियों से पदक की अपेक्षा रखते हैं। खेल प्रतिभा निखारने के लिए उपलब्ध संसाधनों और व्यवस्थाओं की ओर से न तो शासन की ओर से संवेदनशीलता दिखाई जा रही है और न ही जिम्मेदार इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में खेल व खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए शासन की ओर से पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान के तहत ग्राम पंचायतों में खेल मैदान विकसित कराए जाने के साथ ही खेल सामग्री की उपलब्धता कराई गई थी। बड़ी उम्मीदों को लेकर शुरू हुए अभियान का न तो भूत अच्छा रहा, वर्तमान का यह हाल है तो भविष्य की इनसे आस ही नहीं दिखाई देती है। वर्ष 2008-09 में शुरू हुई योजना में जिले के 19 विकास खंडों के 110 ग्राम पंचायतों में प्रत्येक वर्ष खेल मैदान विकसित कराने के साथ ही खेल सामग्री की उपलब्धता की कार्ययोजना तैयार कराई गई थी। युवा कल्याण विभाग की ओर से वैसे तो वर्ष 2016-17 तक की कार्ययोजना तैयार कराकर शासन को 110 ग्राम पंचायतों के अनुसार जिले से मांग ली गई थी। जिले में वर्ष 2008-09 में 110 और वर्ष 2009-10 में भी 110 ग्राम पंचायतों में खेल मैदान विकसित कराए गए। खेल सामग्री की उपलब्धता के साथ खेल गतिविधियों के लिए क्रीड़ाश्री की 500 रुपये प्रति माह मानदेय पर तैनाती भी हुई। वर्ष 2014 आते-आते बजट आवंटन न होने और शासन की ओर से आगे के वर्ष के लिए अनुमोदन न दिए जाने से अभियान की हवा ही निकल गई। ऐसे में खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए गांवों में न तो संसाधन बचे और न ही ज्ञान देने के लिए क्रीड़ाश्री ही तैनात रह गए।
चारागाह बन गए खेल मैदान : ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बनवाए गए खेल मैदान कहीं-कहीं तो चारागाह में तब्दील हो गए हैं। वर्ष 2014 में अभियान को आगे संचालित किए जाने के लिए अनुमोदन न दिए जाने से क्रीड़ाश्री ने भी मैदान की ओर जाना छोड़ा दिया। क्रीड़ाश्री न आने से ग्रामीण प्रतिभाओं को खेल सामग्री की उपलब्धता भी बंद हो गई। ऐसे में खेल गतिविधियां न होने से मैदान चारागाह में तब्दील हो गए। हालांकि स्कूल परिसर में बनाए गए मैदान, पंचायत प्रतिनिधियों की ओर से ध्यान दिए वाले कुछ एक में खेल गतिविधियां संचालित हैं।
स्टेडियम पर निर्भर : ग्रामीण क्षेत्रों में खेल संसाधनों की उपलब्धता न होने से खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए अभ्यास एवं मार्ग दर्शन के लिए जिला मुख्यालय पर स्थापित स्पोर्ट्स स्टेडियम में ही आना मजबूरी है। ऐसे में स्थानीय स्पोर्ट्स स्टेडियम में शहर और शहर के सटे बसे गांवों के ही खिलाड़ी नियमित अभ्यास वर्ग में शामिल हो पाते हैं।
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पायका ग्रामीण क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए अच्छा अभियान था लेकिन अब बंद होने से सभी गतिविधियां ठप हो गई हैं। क्रीड़ाश्री भी मानदेय न मिलने से काम पर नहीं जा रहे हैं। स्कूल परिसर में स्थापित खेल मैदान और कुछ स्थानों पर पंचायत प्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान दिया तो यहां पर खेल गतिविधियों का आयोजन कराया जा रहा है।
रविकांत, जिला युवा कल्याण अधिकारी
स्थानीय स्पोर्ट्स स्टेडियम में उपलब्ध संसाधनों से प्रतिभा निखारने का कार्य किया जा रहा है। यहां पर शहर के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ी अपनी रुचि के अनुसार खेल अभ्यास करने आते हैं। इसके लिए उपलब्ध कोच के माध्यम से इन्हें खेल गतिविधियों की जानकारी के साथ खेल का अभ्यास कराए जाते हैं।
अनिमेष सक्सेना, जिला क्रीड़ा अधिकारी