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अव्यवस्था की मार, अस्पताल ही बीमार

हरदोई, जागरण संवाददाता: होम्योपैथिक की मीठी गोली बच्चों से लेकर बुजुर्गों को फायदा कर रही है। लोगों

By Edited By: Published: Tue, 24 May 2016 07:27 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 07:27 PM (IST)

हरदोई, जागरण संवाददाता: होम्योपैथिक की मीठी गोली बच्चों से लेकर बुजुर्गों को फायदा कर रही है। लोगों का होम्योपैथिक चिकित्सा की तरफ रुझान भी बढ़ा है लेकिन उपचार करने वाले अस्पताल ही बीमार हैं। चिकित्सकों से लेकर कर्मचारियों का टोटा तो है ही, मरीजों की संख्या देखते हुए दवा के लिए आने वाले बजट भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है और हालत यह है कि बस किसी तरह से काम चलाया जा रहा है।

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सरकार एलोपैथिक के साथ ही आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक चिकित्सा पर भी जोर दे रही है। होम्योपैथिक चिकित्सा पर मरीजों का विश्वास बढ़ा और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ भी बढ़ी लेकिन संसाधन नहीं बढ़े और तो और जो थे वह भी धीरे धीरे समाप्त हो रहे हैं। जिले में देखा जाए तो 36 अस्पताल हैं जिसमें से 21 ही सरकारी भवनों में संचालित हो रहे हैं बाकी 15 अस्पताल किराए के भवनों में चलाए जा रहे हैं। वहीं अस्पतालों में तैनाती को देखा जाए तो 36 अस्पतालों के सापेक्ष मात्र 24 में ही चिकित्सक हैं और 12 अस्पताल चिकित्सक विहीन हैं। जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारीसमेत पांच चिकित्सक सेवानिवृत्ति के करीब आ रहे हैं। अन्य कर्मचारियों में देखा जाए तो 36 अस्पतालों में मात्र 27 में फार्मासिस्ट हैं बाकी अस्पतालों में जुगाड़ से काम चल रहा है। ऐसा नहीं अस्पतालों में मरीज नहीं आते। मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में देखा जाए तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार छह लाख 69 हजार 468 मरीज ओपीडी में आए। वैसे तो वेतन आदि के लिए बजट ज्यादा आता है लेकिन दवा के लिए मिलने वाले बजट में देखे तो ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों को छह लाख 10 हजार व शहरी अस्पताल को मात्र 63 हजार 500 रुपये ही मिले। अब इस बजट और अस्पताल में आए ओपीडी के मरीजों की संख्या पर देख लें तो प्रति मरीज 99 पैसे ही पड़ रहा है। अब जब होम्योपैथिक की निजी क्लीनिकों पर दवा लेने जाए तो इतने पैसे में तो खाली शीशी तक नहीं मिलेगी पर सरकारी अस्पतालों में ऐसा ही हो रहा है।

100 रुपये के किराए पर चल रहे अस्पताल

होम्योपैथिक में अभी भी पुराने नियम और व्यवस्था चल रही है। विभागीय जानकारों के अनुसार आज भी किराए के भवनों में चलने वाले अस्पतालों का किराया मात्र 100 रुपये ही दिया जाता है। चिकित्सकों का कहना है कभी कभी परेशान उठानी पड़ती है लेकिन क्या करें किसी तरह काम तो करना ही है।

हर माह सेवानिवृत्त हो रहे चिकित्सक

अस्पतालों में वैसे भी चिकित्सकों की कमी है और रही बची कसर अब हो रही सेवानिवृत्ति पूरी कर देगी। 36 अस्पतालों में 24 चिकित्सक हैं और उसमें से पांच सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डा. संतोष कुमार त्रिपाठी अगस्त में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार डा.एसपी गुप्ता मई में तो डा. आरडी वर्मा जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसी तरह डा. मंजू गुप्ता जुलाई में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। देंखे तो हर माह चिकित्सक सेवानिवृत्त हो रहे हैं और नई भर्ती हो नहीं रही हैं।

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विभाग में संसाधनों की कमी है, लेकिन जितने हैं उतने से ही काम चलाया जा रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है यह विभाग के लिए शुभ संकेत है। चिकित्सकों की कमी के पीछे भर्ती न होना है। संसाधन को लेकर शासन को समय समय पर रिपोर्ट भी भेजी जाती है।

डा. संतोष त्रिपाठी, जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी


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