'स्टेटस' के चक्कर में पर्यावरण जाते भूल
हरदोई, जागरण संवाददाता : दीपावली आते ही पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने और पटाखों से होने वाले पर्यावरण
हरदोई, जागरण संवाददाता : दीपावली आते ही पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने और पटाखों से होने वाले पर्यावरण के नुकसान की गाथा गाई जाती है। जिम्मेदार पदों पर तैनात लोगों से लेकर समाज के जागरुक वर्ग तक से जुड़े लोग बड़े-बड़े संकल्प लेते हैं। आतिशबाजी न करने, पटाखे न छुड़ाने से लेकर न जाने क्या-क्या बातें कहीं जाती हैं। मगर सब कुछ उल्टी गंगा बहने का संकल्प साबित हो रहा है जो जितना आदर्शवादी साबित करता है, उसके घर में सबसे अधिक आतिशबाजी का मंजर नजर आता है। हकीकत तो यह है कि बाजार में प्रदूषण मुक्त पटाखे हैं नहीं। जो सामान बारूद से बन रहा हो, वो संभव नहीं है कि प्रदूषण नहीं फैलाएगा। दरअसल आतिशबाजी अब स्टेटस सिंबल बन चुका है। समझदारी दिखाते हुए जो लोग आतिशबाजी करने से बचते हैं, उन पर समाज के लोग ऐसी टिप्पणी करते हैं मानों पर्यावरण को बचा कर उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो। शायद यही कारण है कि सब कुछ जानते हुए भी भीड़भाड़ आतिशबाजी की दुकानों पर ही जुटती है।
बारूद से भरा पड़ा बाजार : शहर में भ्रमण करने पर कोई ऐसा पटाखा नहीं मिला जो प्रदूषण न फैलता हो। बाजार में अब तो आतिशबाजी बनाने वाली कंपनियों में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा है। इन कंपनियों में मुर्गा छाप, स्टेंडर्ड फोर्मेशन सनलाइट आदि कंपनियां हैं। ये सब कंपनियां पर्यावरण मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं।
प्रदूषण वाले पटाखों की भरमार : प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों में अनार, फुलझड़ी, पेंसिल फुलझड़ी, पटाखों की सौ-सौ फुट की लड़ियां जमीन पर ही जबर्दस्त धुआं करती है, जबकि कुछ पटाखे आसमान में जाकर विस्फोट करते हैं और रंगबिरंगी आतिशबाजी करते हैं। इनमें राकेट, मिसाइल आदि कई नामों से पटाखे शामिल हैं।
आईटीआई में सज गया आतिशबाजी का बाजार : शहर में आतिशबाजी का बाजार आईटीआई मैदान में सज गया है। मैदान में बड़ी संख्या में दुकानें लगाई गई हैं। इसके लिए अस्थाई लाइसेंस नगर मजिस्ट्रेट के कार्यालय से जारी किए गए हैं। लाइसेंस तो तीन दिन तक प्रभावी रहेंगे, लेकिन दुकानें बुधवार से सज कर गुरुवार रात तक ही नजर आएंगी। इसके बाद स्थाई लाइसेंस हासिल किए लोग ही कारोबार करते दिखेंगे।