सपा सरकार ने निपटाई बसपा सरकार की उधारी
हरदोई, जागरण संवाददाता : सपा-बसपा की सियासी दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ तो बसपा सरकार की अधिकतर योजनाएं या तो बंद कर दी गई या फिर उनका नाम बदल दिया गया। बावजूद इसके जिले के अफसरों ने बसपा शासन में हुए कार्यो पर सपा सरकार में खजाना लुटाने में कसर बाकी नहीं रखी। सपा शासन में मुख्यमंत्री की घोषणा के नाम पर मिले बजट को बसपा शासन काल में कराए गए कार्यो की देनदारी निपटाने में खर्च कर दिया गया। जागरण की ओर से मामला उठाए जाने के बाद सूबे के मुख्यसचिव तक ने इस पर नाराजगी जता दी। ऐसे में विभागीय अफसर अब प्रकरण से अपना-अपना पल्ला झाड़ते घूम रहे हैं।
जनपद में वित्तीय वर्ष 2013-14 के अंतर्गत नहर विभाग को 12 करोड़ 85 लाख रुपये का विशेष बजट आवंटित किया गया था। विभागीय अभिलेखों की मानें तो यह धन एक अक्तूबर 2012 को मुख्यमंत्री द्वारा जिले में आकर की गई सिंचाई व्यवस्था और नहरों की पुनरस्थापना के क्रम में यह बजट मिला था। लगभग एक साल तक शासन को भेजी गई रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया जाता रहा। जागरण ने जब मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा की तह में जाकर देखा गया तो पता चला कि जिन कार्यो के लिए बजट जारी हुआ था वह कार्य कराए ही नहीं गए। जागरण ने मामले का खुलासा किया तो डीएम ने नहर विभाग के अधिकारियों से आख्या मांग ली। आख्या में नहर विभाग की ओर से जो कुछ बताया गया उससे प्रशासन भी सकते में आ गया। आख्या में कहा गया था कि मुख्यमंत्री घोषणा के सापेक्ष बजट मिला ही नहीं। यहां तैनात रहे अधिशासी अभियंता व अन्य कर्मचारी गलत रिपोर्टिग करते रहे।
इस तथ्य को भी जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया तो मामला मुख्य सचिव तक जा पहुंचा और उन्होंने इस प्रकरण पर न सिर्फ जिलाधिकारी से बल्कि सिंचाई विभाग के आला अफसरों से भी नाराजगी व्यक्त की।
बहरहाल अब एक नया खुलासा सामने आया है कि मुख्यमंत्री घोषणा के बाद जो धन मिला था उसे बसपा शासन में कराए गए कार्यो की देनदारी निपटाने में खर्च किया गया था। विभागीय सूत्रों की मानें तो वर्ष 2007-08 में बसपा शासन काल में नहरों की सफाई के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की एक परियोजना मंजूर हुई थी, लेकिन पूरा धन न मिलने के कारण विभाग बकाएदार हो गया था। लिहाजा पुराने बकाए को निपटाने में ही सपा शासन का धन खर्च कर दिया गया।
तब क्यों नहीं चेते जनप्रतिनिधि : नहर और लोक निर्माण विभाग में कराए जाने वाले कार्यो पर जनप्रतिनिधियों के चहेते ठेकेदारों की निगाहें लगी रहती हैं। सवाल यह है कि जब बसपा शासन की देनदारी सपा सरकार के खजाने से निपटाई जा रही थी तो जनप्रतिनिधि चुप्पी क्यों साधे रहे। इतना ही नहीं गलत रिपोर्टिग का खेल खुल जाने के बाद भी जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हैं। बताया जाता है कि जिन ठेकेदारों का बकाया निपटाने में धन खर्च किया गया वे बसपा शासन में हाथी वाली पार्टी के करीबी थे और सरकार पलटने पर उन्होंने अपनी निष्ठा बदल ली। इतना ही नहीं अभियंताओं को भी मोटा कमीशन देकर बकाया भुगतान कराया गया।
जिम्मेदार बोले : नहर विभाग के अधिशासी अभियंता एसके झा का कहना है कि धन आवंटन, धन अवमुक्त होने और भुगतान की प्रक्रिया उनके यहां कार्यभार संभालने के पहले की है। तत्कालीन अभियंताओं का तबादला हो चुका है। विभाग का पक्ष लेते हुए उन्होंने कहा कि सब कुछ नियम के अनुसार हुआ है, लेकिन बसपा शासन के कार्यो की देनदारी निपटाने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने चुप्पी साध ली।