धीरे-धीरे भर रहा नोट की चोट का जख्म
महोबा जागरण संवाददाता: आठ नवंबर की वह रात लोगों के जेहन में आज भी ताजा है। सरकारी की ओर से पांच सौ,
महोबा जागरण संवाददाता: आठ नवंबर की वह रात लोगों के जेहन में आज भी ताजा है। सरकारी की ओर से पांच सौ, एक हजार के नोट बंदी की घोषणा होते ही लोग घरों से बाहर आ गये थे। बहुत लोग तो सामान खरीद के लिए बाजार भी पहुंच गये। बड़े वाहन वाले पेट्रोल पंप पर लाइन लगा कर खड़े हो गये। दूसरे दिन सुबह होते ही हर ओर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। वैसे धीरे-धीरे अब हालात सुधर चुके हैं लेकिन बीच-बीच में गांवों में उड़ी अफवाह और उस नोट की नौटंकी को आज भी लोग याद करते हैं। वैसे शहर के हालात काफी सुधरते दिख रहे हैं लेकिन गांवों में बैंकों के बाहर की भीड़ छोटी होती नहीं दिख रही है।
पूरा एक माह नोट बंदी की घोषणा का गुजर चुका है। इस दौरान वैसे कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। सरकार की ओर से जारी नये नोट को लेकर लोगों की उत्सुकता देखने को मिली। तो बाजार में दो हजार के नोट को देख दुकानदार सशंकित नजर आए। शहर में तो नोट काफी पहले आ गया था लेकिन गांवों में अभी भी लोगों के लिए यह बड़ा और नया नोट उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है। नोट बंदी के दौरान ही नमक को लेकर उड़ी अफवाह ने लोगों के एक अंदर एक नई सनसनी पैदा कर दी थी। रातों रात कुछ गांव में नमक जमा करने की सूचनाएं मिलीं। कई दुकानदारों ने मौके पर फायदा उठाते हुए सौ रुपये किलो तक में नमक बेंच दिया था। बाद में प्रशासन की सख्ती ने हालात काबू में किये। इधर नोट बंदी की घोषणा के बाद शहर में तो हालात दो-चार दिन में ही संभलने लगे थे लेकिन गांवों में किसान और सामान्यजन की समस्याएं अभी भी कम नहीं हुई हैं। कम पूंजी और बैंक से पैसों की निकासी पर्याप्त न होने की वजह से किसान बीज-खाद के लिए अभी भी परेशान है। पनवाड़ी के सूरज, मइयादीन ने उधार से बीज लेकर खेत बोया था। आगे खाद के लिए वह बैंक के चक्कर लगाते हुए थक चुके हैं। दूसरी तरफ गांवों में एटीएम की सुविधाएं न होने की भी दिक्कत सामने आ रही है। बैंकों में भी जरुरत के हिसाब से पैसा नहीं पहुंच पा रहा है। कबरई, कुलपहाड़, पनवाड़ी, चरखारी जैसे बड़े कस्बों के हालात कुछ सुधरे हैं लेकिन यहां व्यापार की ²ष्टि से काफी नुकसान हुआ है। बैंक से यहां अभी भी लोगों को अपनी सुविधा के अनुसार पैसा नहीं मिल पाने का कष्ट है।
नेट बैं¨कग का अभाव
बुंदेलखंड वैसे भी पिछड़ा इलाका है। यहां नेट बैं¨कग की बात शहर में तो सोच सकते हैं लेकिन कस्बों के लिए अभी भी दूर की कौड़ी है। दुकानदारों को ही इसके सिस्टम नहीं मालूम हैं। गांवों में इसे लागू करना सपना ही दिख रहा है। महोबा शहर में बड़े मेडिकल स्टोर, होटल, दुकानों में यह सुविधा लागू हो सकती है। उसमें भी अभी समय लगेगा।