'ट्रैक' से 'लापता' हो गए खेल संघ
हमीरपुर जागरण संवाददाता: शहर, कस्बा और गांवों में विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने वाले खेल संघ पूरी तरह
हमीरपुर जागरण संवाददाता: शहर, कस्बा और गांवों में विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने वाले खेल संघ पूरी तरह से लापता हो चुके हैं। इनका कोई नाम भी बताने वाला नहीं है। अब तो खेल को जिंदा रखने के लिए एक मात्र खेल प्रोत्साहन समिति बची है। प्रशासन स्तर पर इसी के माध्यम से प्रतियोगिता और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें भी विभिन्न विभागों से मदद ली जाती है। शासन स्तर पर भी बहुत प्रयास और मदद नहीं मिलती। कभी कभार यदि बड़ी प्रतियोगिता हुई तो उसमें भले ही बजट आ जाए।
खिलाड़ियों की जीवटता ही उन्हें मुकाम तक पहुंचाती है वरना राजनीति के दांव के आगे कहां किसी की चलने वाली है। जिले में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। यहां खेल मैदान है, खिलाड़ी भी हैं लेकिन उन्हें न तो उचित माहौल मिला और न ही मदद। शासन से पूरी तरह से उपेक्षित रहे खेलों की हालत का मुख्य कारण भी यही है। पर्याप्त बजट न होने के कारण ही सुविधाओं का अभाव रहता है। प्रतिभाएं आगे तो आती हैं लेकिन कुछ दूर चलते ही दम तोड़ देती हैं।
खेल संघ का पता नहीं
जिले में वैसे दो खेल संघ हैं, लेकिन यहां कहां और किस हालत में कुछ पता नहीं। अधिकारी भी केवल इतना ही जानते हैं कि यह थे, बाकी इनके सचिव, पदाधिकारी कौन है कुछ पता नहीं। कुल मिलाकर आज की तारीख में कागज पर भी इनका कोई नामोनिशान नहीं है।
प्रोत्साहन समिति से खेल जिंदा
जिले में खेल और खिलाड़ियों को आक्सीजन देने का काम केवल खेल प्रोत्साहन समिति ही इस समय कर रही है। इसके अध्यक्ष डीएम होते हैं। इस समिति के माध्यम से हर माह कुछ धनराशि एकत्र कर उससे खेल को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। यह राशि विभिन्न विभागों के माध्यम से जुटाई जाती है। प्रोत्साहन समिति के पूर्व सदस्य जलीस खान कहते हैं, खेल संघ पहले थे लेकिन कुछ समय से इनका कोई नामोनिशान तक नहीं है। अब खेल और खिलाड़ियों की मदद के लिए केवल खेल प्रोत्साहन समिति ही है।
''शासन से पचास हजार रुपये का बजट आया था, इस बार शासन से बड़ी प्रतियोगिताओं के आयोजन की डिमांड की गई है, जिले में किसी भी खेल संघ का हमारे यहां रजिस्ट्रेशन नहीं है।'' एसपी बमनिया, जिला क्रीड़ाधिकारी हमीरपुर।