फाइलों में कैद मजदूरों का हक
हमीरपुर, जागरण संवाददाता : जब मजदूरों को कोई जानकारी ही नहीं मिलेगी तो उन्हें क्या पता चलेगा कि उनके
हमीरपुर, जागरण संवाददाता : जब मजदूरों को कोई जानकारी ही नहीं मिलेगी तो उन्हें क्या पता चलेगा कि उनके हित की क्या योजनाएं हैं। श्रम विभाग में कुछ ऐसा ही चल रहा है। जागरुकता के अभाव में मजदूरों को सरकारी योजना की जानकारी ही नहीं है। जिले में कहां एक लाख मजदूर हैं लेकिन विभाग में नाम मात्र के मजदूरों का पंजीकरण हुआ है। श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन कराकर विभिन्न योजनाओं का लाभ मजदूर वर्ग आसानी से ले सकता है। लेकिन जागरुकता के अभाव के चलते मजदूर हित की बातें महज कागजों में ही सीमित हो गई हैं।
जिले की अधिकांश आबादी मेहनत मजदूरी करके जीविकोपार्जन करती है। श्रम विभाग ने मजदूरों के हित के लिए ढेर सारी योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन जागरुकता के अभाव में इन योजनाओं का लाभ इन मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि अभी तक मात्र चार हजार पंाच सौ श्रमिकों ने ही अपना पंजीकरण श्रम विभाग में कराया है। जबकि यह संख्या लाख के करीब होनी चाहिए। जहां तक जागरुकता की बात है तो प्रशासन के पास कोई खाका तैयार नहीं है। पंजीकरण मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई, बच्चे के जन्म, बेटी की शादी, इलाज, दुर्घटना बीमा, आदि में विभाग दोनों हाथों से पैसे खर्च करता है। लेकिन गैर पंजीकृत मजदूरों के हाथों में फूटी कौड़ी तक नहीं आती है। ग्रामीण क्षेत्र में यदि कैंप लगाकर योजनाओं का प्रचार-प्रसार हो तो बहुत से मजदूरों को इन योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है।
ऐसे कराएं पंजीकरण
18 से 60 वर्ष की उम्र के मजदूर 12 महीने से 90 दिन का काम करने का प्रमाण पत्र लेकर जिला स्तरीय श्रम कार्यालय में पंजीयन करा सकते हैं। पंजीकरण के लिए दो पासपोर्ट साइज की फोटो, आयु प्रमाण पत्र के साथ निर्धारित फार्म पर आवेदन करना होगा। इसके साथ ही पचास रुपये पंजीकरण शुल्क और इतना ही एक वर्ष का अंशदान स्टेट बैंक की प्रधान शाखा में जमा करना होगा।
''श्रमिकों को जागरुक करने के लिए शहर कस्बा बाजारों में पांफ्लेट वितरण कराया जाता है। जनप्रतिनिधियों से संपर्क करके सहयोग मांगा जाता है। सभी गांव में बैनर लगवाएं गए हैं। गांवों में भी लोगों को जागरूक करने के लिए पांफ्लेट भी बांट दिए गए हैं। '' सिद्धनाथ शर्मा, श्रमप्रवर्तन अधिकारी हमीरपुर।