'बारह' साल के वनवास के बाद सपा को मिली 'फतेह'
महोबा, जागरण संवाददाता : आखिरकार 12 साल के लंबे वनवास के बाद सपा ने चरखारी विधानसभा सीट में हुए उपचुनाव में फतेह हासिल कर एक बार फिर अपना परचम लहराया। 2002 में सपा विजयी हुई, लेकिन इसके बाद बसपा ने उनसे सीट छीन ली और उसके बाद यहां भगवा ध्वज फहरा, भाजपा का विधायक बना। लंबे समय बाद मिली जीत से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता खासे उत्साहित और जोश से लबरेज है।
1952 से अब तक हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 2002 में चरखारी विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाया और जीत का स्वाद चखा। सपा से चुनाव लड़ रही अंब्रेश कुमारी यहां की विधायक बनी। लेकिन अगले की चुनाव में सपा से यह सीट छिन गई। 2007 में बसपा के अनिल अहिरवार चुनाव जीतकर विधायक बने। लेकिन जनता ने वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों सपा व बसपा को नकारकर भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती पर विश्वास जताया। लोकसभा चुनाव में उमा भारती के झांसी से सांसद बनने पर चरखारी सीट रिक्त हुई और यहां उपचुनाव का बिगुल बजा। सपा, भाजपा व कांग्रेस ने अपने रणबांकुरों को मैदान में उतारा। लेकिन सपा के प्रत्याशी कप्तान सिह राजपूत ने जनता को अपने पाले में रिझाने की दिशा में सफलता हासिल की और सपा को बारह सालों बाद फिर से चरखारी विधानसभा सीट पर कब्जा दिलाया। कप्तान सिंह की जीत से सपाइयों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।