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गोरखपुर में होगा 'योगी युग' का मंचन, लोग देखेंगे मुख्यमंत्री की जीवन यात्रा

नाटक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखा जाएगा, यदि उन्होंने 'ओके' कर दिया तो विभिन्न मंचों पर इसकी प्रस्तुति की जाएगी।

By Edited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 01:21 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 11:47 AM (IST)
गोरखपुर में होगा 'योगी युग' का मंचन, लोग देखेंगे मुख्यमंत्री की जीवन यात्रा
गोरखपुर में होगा 'योगी युग' का मंचन, लोग देखेंगे मुख्यमंत्री की जीवन यात्रा

गोरखपुर (जेएनएन)। सिद्ध नाटककार व रंगकर्मी सुल्तान अहमद रिजवी ने गोरक्षपीठ उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ से लेकर मुख्यमंत्री तक के सफर पर एक नाटक रचने का फैसला किया है। उन्होंने इस पर काम भी शुरू कर दिया है और इसका खाका भी तैयार हो गया है। इस नाटक का शीर्षक उन्होंने 'योगी युग' रखा है। यह नाटक योगी आदित्यनाथ के मानव मात्र के प्रति संवेदनशीलता को ​दर्शाएगा।

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रिजवी ने उन्हें बहुत नजदीक से देखा है। आदित्यनाथ के गुरु महंत अवेद्यनाथ से उनके गहरे ताल्लुकात थे। यहां तक कि दोनों लोगों ने मिलकर अयोध्या विवाद का हल ढूंढने की भी कोशिश की थी। बकौल रिजवी वह इस कार्य में सफल नहीं हो पाए। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर आने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर अपनी आंखों से देखा है। इसे वह एक नाटक के रूप में प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

रिजवी कहते हैं कि नाटक लगभग छह माह में पूरा करने की कोशिश करेंगे। इसके बाद वह नाटक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखेंगे, यदि उन्होंने 'ओके' कर दिया तो रिजवी विभिन्न मंचों पर इसकी प्रस्तुति देंगे और फिल्म बनाने के कार्य में जुट जाएंगे।

रिजवी वर्तमान में लखनऊ में रहते हैं। उन्होंने चार दशक गोरखपुर में बिताया है। उन्होंने देखा है कि गोरखनाथ मंदिर के आगे व पीछे मुसलमानों के मोहल्ले हैं। उनसे योगी आदित्यनाथ के मानवीय रिश्तों को भी देखा और महसूस किया है। उन्होंने देखा है कि अपनी समस्याओं को लेकर योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचने वाला कोई भी मुसलमान कभी निराश नहीं हुआ है। मंदिर परिसर में भी राम व रहीम दोनों साथ रहते हैं। वहां सद्भाव का माहौल है, प्रेम व भाईचारा कायम है। चाहे हिंदू हो या मुसलमान, सब पर योगी आदित्यनाथ ने अपना प्रेम लुटाया है। रिजवी इन सभी चीजों को नाटक में पिरोना चाहते हैं।

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कौन हैं रिजवी: सुल्तान अहमद रिजवी रंगकर्म के क्षेत्र में पूरी हिंदी पट्टी में एक जाना-पहचाना नाम हैं। एक समय था जब वह गोरखपुर के रंगमंच की जान थे। गोरखपुर में 80 व 90 का दशक उनके नाटकों व रंगकर्म से भरा रहा। अब तक वह 87 नाटक लिख चुके हैं जिनमें से 84 का मंचन करा चुके हैं। 'योगी युग' उनका 88वां नाटक होगा। 1971 में वह गोरखपुर में सिंचाई विभाग में बतौर स्टेनोग्राफर आए थे। 2005 में सेवानिवृत्त हुए और 2006 में लखनऊ चले गए।

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