कैसे होगा विवाह, अधिकारियों को खोजे नहीं मिल रहे दूल्हा-दुल्हन
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए अधिकारियों को दूल्हा व दूल्हन खोजे नहीं मिल रहे हैं। इस कारण अधिकारी इस योजना का लक्ष्य नहीं पूरा कर पा रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। गरीब की बेटियों के हाथ पीले करने के लिए सरकार की तरफ से चलाई गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना अफसरों के लिए गले की फांस बन गई है। शासन की तरफ से लक्ष्य देने के बाद अफसर गरीबों की खोज गांव से लेकर गली तक कर रहे हैं, लेकिन शादी के लिए दूल्हा-दुल्हन नहीं मिल रहे हैं। हालांकि अफसर निर्धारित लक्ष्य को खोजने के लिए ग्राम सचिवों पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन सफलता मिलती नहीं दिख रही है।
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ऐसे गरीब लोगों के लिए है, जिनकी वार्षिक आमदनी दो लाख रुपये तक है और लड़की की उम्र 18 वर्ष व लड़के की 21 वर्ष से ऊपर हो तथा जाति व आय प्रमाण होना चाहिए। हालांकि जाति का कोई बंधन नहीं है। एक शादी पर सरकार की तरफ से 35 हजार रुपये खर्च किए जाएंगेे, जिसमें 20 हजार रुपये लड़की पक्ष के मुखिया के खाते में, 10 हजार गृहस्थी व लड़की के विदाई के सामान में व पांच हजार वर-वधू के अतिथि सत्कार में खर्च होंगे। यदि विधवा दोबारा शादी कर रही है तो उसपर 30 हजार खर्च होंगे। शादी करने वाले लोग अपने रीति-रिवाज से विवाह कर सकेंगे। इसकी भी व्यवस्था रहेगी। सहजनवां ब्लाक को 61 दूल्हा-दुल्हन ढूंढऩे की जिम्मेदारी है मगर अब तक एक भी आवेदन नहीं मिले है। एडीओ समाज कल्याण दुर्गा प्रजापति ने कहा सरकार की कोशिश है कि ज्यादे से ज्यादे लोग योजना का लाभ उठाएं। इसके लिए फार्म ब्लाक कार्यालय पर उपलब्ध है। साथ ही प्रधानों से सहयोग मांगा गया है और शादी का स्थान अभी निश्चित नहीं है।
व्यक्तिगत शादी योजना में है अधिक दिलचस्पी
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के प्रति भले ही लोगों में उत्साह नहीं दिख रहा हो, लेकिन व्यक्तिगत शादी योजना को लेकर जनता काफी दिलचस्पी दिखा रही है। व्यक्तिगत शादी योजना में सरकार की तरफ से मात्र 20 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। इतना ही नहीं सामूहिक विवाह योजना में वार्षिक आय की सीमा दो लाख रुपये है, जबकि व्यक्तिगत शादी का दायरा सीमित है। इसमें 47 हजार वार्षिक आय वाले 47 वालों को ही लाभ मिलेगा। व्यक्तिगत शादी अनुदान योजना में ज्यादे लोगों के फार्म ब्लाक कार्यालय में आ चुके हैं। दोनों योजनाओं में अंतर यह है कि व्यक्तिगत शादी में अनुदान पात्र के खाते में चला जाता है और समाज के लोग जानते नहीं हैं, जबकि सामूहिक विवाह वाले पात्र को सभी लोग जान जाते हैं। इसी स्टेटस सिंबल के चक्कर में सामूहिक विवाह के लाभार्थी खोजे नहीं मिल रहे हैं।
कुशीनगर में 18 अधिकारियों का रोका वेतन
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति न होने पर कुशीनगर के जिलाधिकारी डा. अनिल कुमार सिंह ने सख्त कदम उठाते हुए अपर मुख्य अधिकारी सहित 18 अधिकारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया। डीएम ने इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। जारी आदेश में डीएम ने कहा है कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना सर्वो'च प्राथमिकता में है। इसे लेकर जनपद में नगर पंचायत, नगर पालिका व विकास खंडवार लक्ष्य निर्धारित कर जिम्मेदारियां सौंपी गईं थी। बीते नौ अक्टूबर को इससे जुड़ी बैठक में मुख्यमंत्री की सर्वो'च प्राथमिकता वाले इस योजना को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को सजगता बरतने को कहा था। बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा रुचि नहीं ली गई, जो शासकीय कार्यों के प्रति घोर उदासीनता है।
इस लापरवाही के लिए अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत अमितराज सिंह, खंड विकास अधिकारी पडरौना संजय कुमार पांडेय, फाजिलनगर शेषनाथ चौहान, कप्तानगंज प्रेम प्रकाश त्रिपाठी, नेबुआ-नौरंगिया कार्तिकेय मिश्र, सेवरही सतीश कुमार सिंह, मोतीचक चंद्रशेखर, विशुनपुरा आनंद प्रकाश, हाटा राकेश कुमार त्रिपाठी, तमकुही अरुण कुमार यादव, सुकरौली चित्रा मिश्रा, कसया ध्रुव दूबे तथा नगर पालिका पडरौना, कसया व नगर पंचायत सेवरही, कप्तानगंज, रामकोला, खड्डा के अधिशासी अधिकारियों का वेतन रोक दिया गया है। डीएम ने इन अधिकारियों से निर्धारित लक्ष्य आवंटन के सापेक्ष बजट प्रेषण के लिए विवाह समिति के खाता की सूचना मांगी है। इसके बाद कोई विचार किया जाएगा।