Move to Jagran APP

रंगकर्मियों के सपने को लगे पंख

गोरखपुर : लंबे समय से प्रेक्षागृह निर्माण की आस लगाए रंगकर्मियों के सपने को पंख लग गए हैं। मुख्यमंत्

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 02:19 AM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 02:19 AM (IST)
रंगकर्मियों के सपने को लगे पंख
रंगकर्मियों के सपने को लगे पंख

गोरखपुर : लंबे समय से प्रेक्षागृह निर्माण की आस लगाए रंगकर्मियों के सपने को पंख लग गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अन्य विकास योजनाओं के साथ प्रेक्षागृह का शिलान्यास करने से अब शहर में एक अदद प्रेक्षागृह की जरूरत पूरी हो जाएगी। लंबे समय से शहर में बहुत दिन से एक अदद प्रेक्षागृह की जरूरत महसूस की जा रही थी। प्रेक्षागृह न होने से यहां का रंगकर्म अंतिम सांसें गिनने लगा था। रंगकर्मियों का उत्साह मरने लगा था। नाट्य प्रस्तुतियों की संख्या नगण्य हो गई। अब नए प्रेक्षागृह निर्माण से यहां के रंगकर्म के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार शहर में रंगकर्म के लिए एक जमीन आरक्षित करने के लिए जीडीए ने पहल की। जीडीए बोर्ड की पिछली बैठक में यह प्रस्ताव पास हो गया है। निर्माण की जिम्मेदारी राजकीय निर्माण निगम को दी गई है। इस पर कुल खर्च 36.86 करोड़ रुपये आएंगा। शनिवार को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य विकास योजनाओं के साथ प्रेक्षागृह का शिलान्यास किया तो प्रेक्षागृह निर्माण का प्रथम चरण पूरा हो गया। यह प्रेक्षागृह 3.5 एकड़ में सर्किट हाउस के पास बनेगा। इसके लिए सिंचाई विभाग के जर्जर निरीक्षण भवन की जमीन व कुछ अन्य जमीन आरक्षित की गई है। प्रेक्षागृह में रंगकर्मियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए आडीटोरियम, मीडिया सेंटर, फोटो प्रदर्शनी के लिए आर्ट गैलरी, ग्रीन रूम, बाथरूम आदि का निर्माण किया जाएगा।

-------------------

29 साल बाद सच होगा सपना

इससे पूर्व गोरखपुर में एशिया के सबसे बड़े प्रेक्षागृह निर्माण की नींव पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीर बहादुर सिंह ने रखी थी। 1987 में कार्मल स्कूल के सामने 2.9 एकड़ में इसके निर्माण की आधारशिला रखी गई। लेकिन बाद में यह जमीन मुकदमे की भेंट चढ़ गई और प्रेक्षागृह निर्माण का सपना अधूरा रह गया। जमीन तो संस्कृति विभाग को हस्तांतरित हो गई। इसका सात करोड़ रुपये बजट भी बना जो पास हो गया। काम भी शुरू हो गया लेकिन 1990-91 में इस जमीन पर मुकदमा हो गया और काम बंद कर दिया गया। तब तक इस पर एक करोड़ चार लाख रुपये खर्च भी हो चुके थे। बहुत सारे सामान खरीद लिए गए थे जो बाद धूप, जाड़ा व बरसात झेलते-झेलते बेकार हो गए। अब मुख्यमंत्री ने पुराने मामले को न छूते हुए नए प्रेक्षागृह निर्माण का शिलान्यास कर दिया तो लगने लगा कि अब रंगकर्मिर्यो के सपने सच हो जाएंगे।

----------------

बेकार पड़ा है एम्फी थियेटर

तारामंडल क्षेत्र में लगभग सात हजार वर्ग मीटर में 1988 से 2006 के बीच बने एम्फी थियेटर का हाल बेहाल है। 85.88 लाख रुपये से निर्मित इस थियेटर में रंगकर्मी जाने का साहस नहीं जुटा पाते। संस्कृति विभाग के पास बजट नहीं है कि इसे ठीक कराए, लिहाजा धीरे-धीरे थियेटर के साथ ही यहां का रंगकर्म भी मर रहा है। इसके साथ दगा शुरू में ही हुआ। इस थियेटर के लिए स्वीकृत बजट था 1.43 करोड़ रुपये और मिला सिर्फ 85.88 लाख। जीडीए ने अपने स्रोतों से इस थियेटर का जीर्णोद्धार कराने की पहल की थी। शासन को जीडीए ने इस निमित्त 97.52 लाख का प्राथमिक आगणन तैयार कर भेज भी दिया था, लेकिन अभी तक हुआ कुछ नहीं। इसकी बदहाली के चलते यहां नाट्य प्रस्तुतियां नहीं हो पाती हैं। जबकि रंगकर्म की जरूरत की सभी सुविधाएं इस थियेटर में हैं। दो विशिष्ट कक्ष, दो ग्रीन रूम, एक स्टेज, दो दर्शक दीर्घा, पुरुष व महिला के अलग-अलग शौचालय बने हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.