जांच हुई तो नपेंगे कई जिम्मेदार
गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बीए सत्र 2015-16 की टापर छात्रा के 'अचानक गायब'
गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बीए सत्र 2015-16 की टापर छात्रा के 'अचानक गायब' हो जाने का मामला जोर पकड़ता जा रहा है। अगर इस मामले की सही ढंग से जांच हुई तो गोरखपुर - बस्ती मंडल में सक्रिय शिक्षा माफिया के बड़े रैकेट का पर्दाफाश होना तय है। मामले को लेकर दोनों मंडलों के शैक्षिक हलकों में खासा हलचल है।
रविवार को दैनिक जागरण में इस बाबत खबर प्रकाशित होने के बाद विश्वविद्यालय परिसर में खूब चर्चा रही। इस बीच एक गुमनाम पत्र भी विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन और समाचार पत्रों के दफ्तरों में भेजा गया, जिसमें इस मामले को लेकर कई संगीन आरोप लगाए गए हैं। पत्र में लगाए गए आरोप बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं। जागरण में प्रकाशित खबर में भी टापर बताई गई छात्रा की स्थिति पर संदेह जाहिर किया गया था। हालांकि पत्र में लगाए गए आरोपों की पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
सोशल मीडिया पर भी हलचल : मामले को लेकर सोशल मीडिया में भी खूब टिप्पणियां की जा रही हैं। कोई इस प्रकरण को विश्वविद्यालय प्रशासन की नाकामी से जोड़कर देख रहा है, तो कोई पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले की जांच जारी है। टापर बताई गई छात्रा को अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराने के लिए सात दिनों का समय दिया गया है, लेकिन वह आएगी ही इस बारे में कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है।
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यह है मामला : विश्वविद्यालय के सत्र 2015-16 में बीए परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंक पाने वाली छात्रा शिवांगी पांडेय को विश्वविद्यालय से लेकर कालेज प्रशासन ढूंढ रहा है लेकिन उसका कोई पता नहीं है। पिछले दिनों दीक्षा समारोह के संबंध में सभी मेधावियों को विश्वविद्यालय ने सत्यापन के लिए आमंत्रित किया था लेकिन वहां भी शिवांगी अनुपस्थित रहीं। यही नहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की जांच में टॉपर छात्रा का परीक्षाफार्म भी संदेहपूर्ण पाया गया है। विश्वविद्यालय परीक्षा में उसके शानदार प्रदर्शन के पीछे भी स्थानीय स्तर पर परीक्षा से जुड़े जिम्मेदारों की भूमिका सामने आ रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में किसी बड़े रैकेट का हाथ है।
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