हाईकोर्ट ने रद की शिक्षिका की बर्खास्तगी
गोरखपुर : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर डा.स्नेहा गुप्त
गोरखपुर : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर डा.स्नेहा गुप्ता दोबारा सेवा में होंगी। उनकी बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद ने विश्वविद्यालय प्रबंध बोर्ड के फैसले को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।
विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त डा.स्नेहा गुप्ता पर तमाम अनियमितताएं करने का आरोप था। जांच के बाद विश्वविद्यालय प्रबंध बोर्ड ने इसी वर्ष 6 जून को फैसला सुनाते हुए परिवीक्षावधि में सेवारत डा.स्नेहा को सेवाशर्तो और कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन का दोषी करार दिया और एक माह का वेतन भुगतान करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया था। प्रबंध बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ डा.स्नेहा ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां लंबी सुनवाई के बाद 22 सितंबर को कोर्ट ने प्रबंध बोर्ड के फैसले को गलत ठहराया। इसके बाद बर्खास्त शिक्षिका के सेवा में दोबारा लौटने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि हाईकोर्ट के इस आदेश पर विश्वविद्यालय का रुख स्पष्ट नहीं हो सका है।
नाफरमानी बनी बर्खास्तगी की वजह : डा.स्नेहा गुप्ता अगस्त 2015 में विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त की गई थीं। कार्यभार संभालने के कुछ ही दिन बाद उन्हें सरस्वती महिला छात्रावास के अधीक्षक पद का भी दायित्व सौंपा गया। साथ ही उन्हें स्थाई रूप से छात्रावास परिसर में ही रहने को आदेशित किया गया। डा. स्नेहा ने छात्रावास में निवास करने में पारिवारिक समस्याओं का हवाला देते हुए जिम्मेदारी निभा पाने में असमर्थता जताई थी। इसके साथ ही बगैर अनुमति अपने आवास में एयरकंडीशनर लगवाने, प्रतिदिन अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराने और नियम विरुद्ध ढंग से अनुपस्थित छात्रों को उपस्थित करने का भी उन पर आरोप था। आरोपों की पुष्टि के लिए कुलपति ने जांच समिति गठित की। प्रबंध बोर्ड ने जाच रिपोर्ट के आधार पर माना कि डा.स्नेहा ने नियुक्ति की शर्तो और कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन किया है। इसी आधार पर बैठक में उनकी सेवा समाप्त करने का फैसला लिया गया था।