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पोखरा बचाने उतरे डीडीओ-बीडीओ, चलाई कुदाल

जागरण संवाददाता, गोरखपुर: ताल-पोखरों को बचाने की 'जागरण' की मुहिम मुकाम तक पहुंचने के करीब है। जागरण

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:22 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:22 AM (IST)
पोखरा बचाने उतरे डीडीओ-बीडीओ, चलाई कुदाल

जागरण संवाददाता, गोरखपुर: ताल-पोखरों को बचाने की 'जागरण' की मुहिम मुकाम तक पहुंचने के करीब है। जागरण के अभियान 'तलाश तालाबों की' के तहत गोद लिए गए पोखरों के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण कार्य में सांसद, विधायक, ब्लाक प्रमुखों, जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारी भी इस अभियान से लगातार जुड़ रहे हैं। बुधवार को जिला विकास अधिकारी व खंड विकास अधिकारियों ने पोखरों पर पहुंचकर श्रमदान किया और आम ग्रामीणों व मनरेगा मजदूरों की हौसला आफजाई की।

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जिला विकास अधिकारी डा. बब्बन उपाध्याय, पिपराइच की विधायक राजमती निषाद के प्रतिनिधि अमरेंद्र निषाद, रमाकांत निषाद व कई अन्य जनप्रतिनिधि दोपहर बाद भटहट ब्लाक के भटहट गांव में जागरण के गोद लिए पोखरे पर पहुंचे। सभी ने वहां श्रमदान किया। पोखरे पर पिछले सप्ताह से ही खोदाई कार्य चल रहा है। जिला विकास अधिकारी ने उपस्थित ग्रामीणों से कहा कि परंपरागत जलस्रोतों का महत्व समझना होगा। इसकी उपेक्षा के नतीजे भविष्य में घातक हो सकते हैं। भूगर्भ जल का गिरता स्तर इसका संकेत है। ऐसे में जागरण ने जो अभियान शुरू किया है, वह सराहनीय है और सभी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने इस पोखरे के साथ अन्य पोखरों के भी संरक्षण का संकल्प दिलाया।

जंगल कौड़िया ब्लाक के बरियारपुर में गोद लिए पोखरे के जीर्णोद्धार कार्य को गति देने खंड विकास अधिकारी संदीप सिंह मौके पर पहुंचे। वहां श्रमदान करने के साथ उन्होंने माडल पोखरा के रूप में विकसित कराने का निर्देश ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी, मनरेगा कर्मचारियों को दिया। बुधवार को वहां 65 मनरेगा मजदूरों ने कार्य किया। जागरण के अभियान की प्रशंसा करते हुए खंड विकास अधिकारी ने कहा कि इससे जल स्रोतों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ रही है।

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ताल डोहर का शुरू हुआ कायाकल्प

खोराबार ब्लाक के ग्राम हक्काबाद स्थित ताल डोहर का जीर्णोद्धार कार्य बुधवार को शुरू हुआ। इस तालाब का क्षेत्रफल कभी 23 एकड़ था लेकिन अतिक्रमण के कारण चार एकड़ का ही अस्तित्व बचा है। चार एकड़ के हिस्से की सफाई व खोदाई का कार्य ग्राम प्रधान की देखरेख में शुरू हुआ। इस तालाब का कवलगट्टा फल व पत्तल के रूप में पुरैना का पत्ता मशहूर था। ग्राम प्रधान बेबी यादव ने बताया कि इस तालाब को अतिक्रमण मुक्त तो कराया ही जाएगा, इसका सुंदरीकरण भी कराया जाएगा। गांव के बुजुर्ग भगवान यादव, रामप्यारे निषाद ने कहा कि यह तालाब सिंचाई का तो जरिया था ही, इसमें पैदा होने वाले कवलगट्टा को बेचकर लोग जीवन यापन भी करते थे। लाखी देवी कहती हैं कि इसका पानी स्वच्छ रहता था।


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