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बिमली को नसीब न हुई अपनों के हाथ की आग

गोरखपुर कहते हैं गरीबी से बड़ी बदनसीबी कुछ और नहीं होती, लेकिन बिमली तो इससे बड़ी बदनसीब निकली। उसकी

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:34 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:34 AM (IST)
बिमली को नसीब न हुई अपनों के हाथ की आग

गोरखपुर

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कहते हैं गरीबी से बड़ी बदनसीबी कुछ और नहीं होती, लेकिन बिमली तो इससे बड़ी बदनसीब निकली। उसकी चिता को अपनों के हाथ से आग भी नसीब नहीं हुई। गरीबी की वजह से शव को घर ले जाने का इंतजाम न कर पाने पर पहले तो परिजन उसकी लाश मेडिकल कालेज में छोड़कर चले गए, बाद में पुलिस की पहल पर ससुर और पिता उसका पोस्टमार्टम कराने के लिए तो आए लेकिन साधन की व्यवस्था न कर पाने के कारण दोबारा शव को मेडिकल कालेज में ही छोड़कर चले गए।

हनुमानगंज, कुशीनगर के भैंसहा गांव निवासी सोहन की पत्‍‌नी बिमली देवी गत शनिवार को खाना बनाते समय बुरी तरह झुलस गई थी। स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टरों ने उसे मेडिकल कालेज भेज दिया। यहां उसी रात उसने दम तोड़ दिया। बिमली के ससुर प्रहलाद और सास पार्वती देवी उसे सरकारी एंबुलेंस से गोरखपुर ले आए थे। प्रहलाद के मुताबिक मौत के बाद शव को मोर्चरी में रखने के लिए मेडिकल कालेज में उनसे पांच सौ रुपये भी वसूल किए गये थे। इसके बाद उनके पास एक पैसा भी नहीं बचा था। मेडिकल कालेज गेट पर कुछ लोगों से मदद मांग कर वे गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे, यहां से ट्रेन से बिना टिकट यात्रा कर घर आ गए।

मेडिकल कालेज प्रशासन ने शव के संबंध में सोमवार को गुलरिहा पुलिस को सूचना दी। बिमली को भर्ती कराए जाने के दौरान लिखवाए गए पते के आधार पर गुलरिहा थाना पुलिस ने हनुमानगंज थाने से संपर्क कर उसके परिजनों को शव लेने के लिए गोरखपुर भेजने में मदद मांगी। हनुमानगंज पुलिस जब मृतका के घर पहुंची तब पता चला कि पैसे का इंतजाम न होने की वजह से परिजन शव मेडिकल कालेज में छोड़ आए थे।

पुलिस की पहल पर बिमली के ससुर प्रहलाद, पिता हीरा और दो-तीन अन्य रिश्तेदार मंगलवार की रात गोरखपुर पहुंचे। बुधवार को शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए वे मेडिकल कालेज पुलिस चौकी पर पहुंचे। उस समय उप निरीक्षक श्रीराम पंचायतनामा भर रहे थे। बिमली के संबंध में दैनिक जागरण में छपी खबर की वजह से वह उसके परिजनों की आर्थिक दशा से वाकिफ हो गए थे। लिहाजा पोस्टमार्टम के बाद शव को बांधने के लिए कपड़ा, पालीथिन और कफन की व्यवस्था उन्होंने अपने पास से की। पोस्टमार्टम के बाद शव को घर ले जाने के लिए परिजन किसी साधन की तलाश कर रहे थे, लेकिन वाहन चालकों द्वारा तीन हजार रुपये की मांग करने पर वे दोबारा शव छोड़कर चले गए। लावारिस शवों का दाह संस्कार करने वालों ने बिमली की लाश का अंतिम क्रियाकर्म किया।

इस मामले में कुशीनगर के हनुमानगंज थाने की पुलिस एवं ग्राम समाज की संवेदनशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। गरीबी की वजह से शव को मेडिकल कालेज में छोड़ आने की बात सामने आने के बाद हनुमानगंज के थानेदार ने कहा था कि दाह संस्कार की व्यवस्था वह अपने पास से करेंगे। उन्होंने मंगलवार की शाम को यहां तक कह दिया कि परिजन मेडिकल कालेज से शव लेकर घर आ रहे हैं, जबकि हकीकत में शव का बुधवार को पोस्टमार्टम हुआ।


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