समय के साथ बदलता गया डाक विभाग
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर : डाक शब्द का नाम आते ही, वह डाकिया याद आ जाता है, जो एक दशक पूर्व जब गांवों
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर : डाक शब्द का नाम आते ही, वह डाकिया याद आ जाता है, जो एक दशक पूर्व जब गांवों में जाता था तो चारो ओर शोर हो जाता था। स्त्री-पुरुष, बच्चे उसे घेर लेते थे, बहुएं खिड़की-जंगलों से झांकने लगती थीं और तब तक झांकतीं रहती थीं, जब तक पूरी डाक बंट नहीं जाती थीं। डाकिया का लोग इंतजार करते थे। दो समाजों, दो व्यक्तियों को जोड़ने का माध्यम थे डाक व डाकिया। मूल रूप से चिट्ठियां पहुंचाने के लिए स्थापित डाक विभाग ने बदलते वक्त के साथ खुद को बदला है। आज भी अपने मूल उद्देश्य को पूरा करते हुए यह विभाग बैंकिंग क्षेत्र में भी अपना लोहा मनवा रहा है।
डाक विभाग में बहुत कुछ बदल गया है। साधारण तथा पंजीकृत डाक के अलावा स्पीड पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल, प्रीमियम पार्सल आदि की सुविधा जुड़ चुकी है। इतना ही नहीं अब यह विभाग ई-पोस्ट द्वारा त्वरित संदेश भेजने का भी काम शुरू कर दिया है। पहले केवल मनी आर्डर के द्वारा धन अंतरण की सुविधा थी, अब इलेक्ट्रानिक मनी आर्डर, इंस्टेंट मनी आर्डर, वेस्टर्न यूनियन, मनीग्राम, एमओ विदेश, आइएफएस मनी आर्डर, मोबाइल मनी आर्डर ट्रांसफर के जरिए देश-विदेश में त्वरित धन अंतरण की सेवा शुरू हो चुकी है। शुरुआत में डाक विभाग के पास केवल अपने कर्मचारियों के लिए जीवन बीमा की सुविधा थी, अब इसमें केंद्र व राज्य कर्मचारी तथा ग्रामीणों को भी शामिल कर लिया गया है।
अपने मूल उद्देश्यों के साथ ही इस विभाग ने बैंकिंग के जरिए विभिन्न तरह के खाते खोलकर बड़े पैमाने पर राजस्व इकट्ठा करता है जो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में अपनी भागीदारी निभाता है। धीरे-धीरे तकनीकी सुविधाओं से लैस होकर यह विभाग भी बैंकों की तरह जनता की सेवा कर रहा है। कोर बैंकिंग के जरिए हर डाकघर को एक-दूसरे से जोड़ने की पहल शुरू हो चुकी है। गोरखपुर में 2 मुख्य कार्यालय व 11 उप डाकघर कोर बैंकिंग से जोड़ दिए गए हैं।
डाक व्यवस्था-एक नजर
-255 ईशा पूर्व इजिप्त के लोगों ने लिखित चिट्ठी भेजने की शुरुआत की।
-322-185 ईशा पूर्व भारत में मौर्य काल में डाक द्वारा संदेशों का आदान-प्रदान शुरू हुआ।
-सन 1650 में इंग्लैंड में पोस्टआफिस शब्द चलन में आया।
-1688 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बाम्बे में पहला पोस्ट आफिस खोला।
-1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कलकत्ता में पोस्ट आफिस डिपार्टमेंट की स्थापना की।
-1852 में चिपकाने वाले स्टैंप की शुरुआत सिंध से हुई।
-1876 में भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना।
-1898 में पोस्ट आफिस एक्ट बनाया गया, जिसके तहत आज भी यह विभाग संचालित होता है।
-18 फरवरी 1911 को पहली बार हवाई जहाज से डाक गया। यह डाक किंग जार्ज पंचम का था जो इलाहाबाद से नैनी तक गया था।
-भारतीय डाक विभाग का पहला स्टैंप 21 नवम्बर 1947 को जारी किया गया। इसमें भारत का ध्वज बना था।
-15 अगस्त 1972 को पिन कोड की शुरुआत हुई, आज कुल 19101 पिन कोड हैं।
-भारत में विश्व की सबसे बड़ी डाक व्यवस्था है, यहां एक लाख पचपन हजार पांच सौ डाकघर हैं। दूसरे नंबर पर चीन हैं जहां केवल 60 हजार डाकघर हैं।
गोरखपुर क्षेत्र
17 अक्टूबर 1988 को गोरखपुर रीजन बना। 1 अप्रैल 1990 से यहां पोस्ट मास्टर जनरल के पद का सृजन हुआ। इस क्षेत्र में 14 जिले, 59 तहसीलें, 185 ब्लाक व 12190 ग्राम पंचायतें हैं। 39419 स्क्वायर किमी का एरिया है। इस क्षेत्र में चार करोड़ की आबादी है। 54 लाख 35 हजार उपभोक्ता हैं।
हाईटेक हो रहा डाक विभाग
प्रवर अधीक्षक डाकघर डीबी त्रिपाठी ने कहा कि डाक विभाग को हाईटेक करने की प्रक्रिया चल रही है। कोर बैंकिंग का कार्य शुरू हो चुका है। सेंट्रलाइज सरवर स्थापित करने का काम चल रहा है, इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। यह सरवर हर शाखा का डाटा अपने पास सेव कर लेगा। इससे हमारी नेटवर्किंग बहुत मजबूत हो जाएगी। गोरखपुर में किसी का खाता है तो दूसरे शहर में भी अपना पैसा जमा कर सकेगा। अबाध इंटरनेट सुविधा की व्यवस्था की जा रही है। इस वर्ष 6 से 7 लाख खाते खोलने की कोशिश की जाएगी।