गोरक्षपीठ परंपरा, संस्कृति एवं संस्कारों की पीठ
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : गोरक्षपीठ परंपरा, संस्कृति और संस्कारों की पीठ है। मैं जब भी गोरखपुर आत
जागरण संवाददाता, गोरखपुर :
गोरक्षपीठ परंपरा, संस्कृति और संस्कारों की पीठ है। मैं जब भी गोरखपुर आता हूं, गोरखनाथ मंदिर जरूर आता हूं। यहां आने पर मुझे आत्मिक शांति मिलती है। ऐसे में यहां के लोग धन्य हैं।
ये बातें केंद्रीय संचार, सूचना एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कही। वे ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह में गोरखनाथ मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर उन्होंने अवेद्यनाथ की याद में डाक टिकट भी जारी किया। कहा, भारतीय संस्कृति, ¨हदू चिंतक, सास्कृतिक राष्ट्रवाद और सामाजिक समरसता के अगुआ महंत अवेद्यनाथ पर डाक टिकट जारी कर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। धर्माचार्य होते हुए उन्होंने उम्रभर देश एवं समाज खासकर ¨हदू समाज की एकजुटता के लिए जो काम किए, ये उसका सम्मान है। राष्ट्रवाद, सामाजिक समरसता, ¨हदुत्व एवं विकास उनका सपना था। मौजूदा केंद्र सरकार इनको पूरा करने का प्रयास कर रही है।
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और भावुक हो गए योगी
वर्षो से जारी श्रद्धांजलि सभा में ये पहला मौका था, जब महंत अवेद्यनाथ नहीं थे। यूं तो साप्ताहिक कार्यक्रम के हर दिन इसका जिक्र हुआ, पर कार्यक्रम के अंतिम दिन अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान उनके शिष्य और मौजूदा गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ भावुक हो गए। रूंधे गले से कहा, अध्यात्म के साथ ही समाज से सरोकार इस पीठ की पहचान है। मेरे गुरुदेव का पूरा जीवन सनातन धर्म, ¨हदुत्व एवं ¨हदुओं के हितों के संरक्षण, समरस समाज की स्थापना और अयोध्या में जन्मभूमि पर राममंदिर के निर्माण के प्रयास में गुजरा। डाकटिकट जारी कर भारत सरकार ने उनको जो सम्मान दिया, उसके लिए आभारी हूं।
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा, ब्रह्मलीन महंत हम लोगों के प्रेरक और अगुआ थे। अपने समय में उन्होंने सनातन धर्म, ¨हदुत्व, सामाजिक समरसता और रामजन्मभूमि आंदोलन को नया आयाम दिया था। सही मायनों में वे इस सम्मान के हकदार थे।
आचार्य धर्मेंद्र ने कहा, ये श्राद्धपक्ष है। इसमें अपने पितरों के प्रति श्रद्धा जताई जाती है। भारत सरकार ने भी उनकी याद में डाकटिकट जारी कर यही काम किया है।
महंत एवं पूर्व सासद डा.राम बेलासदास वेदांती और महंत सुरेश दास ने भी पीठ से दशकों पुराने रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा, हमने उनके और उनके गुरु दिग्विजयनाथ जैसा विराट व्यक्तित्व वाला महापुरुष नहीं देखा। विश्व हिन्दू महासंघ के अंतराष्ट्रीय संरक्षक एवं नेपाल के पूर्व आर्मी चीफ जनरल भरत केशर सिंह ने कहा, नेपाल से गोरक्षपीठ का अटूट रिश्ता है। नेपाल के एकीकरण में भी पीठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नेपाल के मौजूदा संकट के हल के लिए भी पीठ एवं केंद्र से मदद की अपेक्षा की।
श्रद्धांजलि सभा को चीफ पोस्ट मास्टर जनरल उप्र परिमंडल लखनऊ की डा.सरिता सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहप्रांत प्रचारक कौशल, सांसद बृजभूषण शरण सिंह, कमलेश पासवान, हरीश द्विवेदी और गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अशोक कुमार ने भी संबोधित किया। कहा, आजादी के पहले से लेकर अब तक देश, समाज, धर्म, संस्कृति से जुड़ा ऐसा कोई मुद्दा नहीं जिसे इस पीठ ने प्रभावित न किया हो।
कार्यक्रम में सासद रविंद्र कुशवाहा, मेयर डा.सत्या पांडेय, पूर्व कुलपति प्रो.यूपी सिंह, महंतगण सुरेंद्रनाथ, शिवनाथ, गुलाबनाथ, सुरेशदास, एमपी शिक्षा परिषद के शैक्षणिक संस्थाओं के मुखिया, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी, ¨हदू संगठन और भाजपा के प्रमुख लोग मौजूद थे। संचालन डा.श्रीभगवान सिंह किया।