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चंदू को जेल में बंदियों ने पीटा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर अधिवक्ता हत्याकांड के आरोपी चंदू साहनी की जेल में बंदियों ने पिटाई कर दी।

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 01:27 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 01:27 AM (IST)
चंदू को जेल में बंदियों ने पीटा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर

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अधिवक्ता हत्याकांड के आरोपी चंदू साहनी की जेल में बंदियों ने पिटाई कर दी। हालांकि जेल प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है लेकिन उच्चपदस्थ सूत्रों ने हत्यारोपी के साथ मारपीट की घटना को सही बताया है। फिलहाल जेल में उसे शताब्दी बैरेक में रखा गया है।

इलाहीबाग, तिवारीपुर निवासी अधिवक्ता विजय कुमार श्रीवास्तव की 18 अगस्त की रात घर से बुलाकर गोरखनाथ इंडस्ट्रीयल एरिया में हत्या कर दी गई थी। दो गोली मारकर उन्हें मौत के घाट उतारा गया था। इस मामले में बशारतपुर पूर्वी, शाहपुर निवासी चंद्रीश साहनी उर्फ चंदू और उसके एक अन्य साथी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। दुर्गाबाड़ी रोड स्थित 41 डिसमिल जमीन के विवाद में एक पक्ष की पैरवी करने पर उनकी हत्या की गई थी। नामजद आरोपी चंदू को गोरखपुर पुलिस ने नैनीताल पुलिस की मदद से 27 अगस्त की रात वहां के एक होटल से गिरफ्तार किया। ट्रांजिट रिमांड पर शुक्रवार को उसे गोरखपुर लाया गया। रविवार तक के लिए उसकी रिमांड मंजूर थी। सोमवार को उसे यहां की कोर्ट में पेश किया जाना था। लेकिन अधिवक्ता की हत्या से जुड़ा मामला होने की वजह से कचहरी परिसर में उस पर हमला होने की आशंका को देखते हुए रविवार को ही उसे रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

जेल में इन दिनों कई ऐसे लोग बंद हैं, जिनके मुकदमे की पैरवी अधिवक्ता विजय कुमार श्रीवास्तव करते थे। वे उनके अच्छे व्यवहार के कायल थे। कई ऐसे विचाराधीन बंदी भी जेल में हैं, जिनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई होनी थी लेकिन अधिवक्ता की हत्या के बाद कार्य बहिष्कार की वजह से उनकी अर्जी पर सुनवाई नहीं हो पाई। उनके मामलों में सुनवाई के लिए एक माह से आगे की तिथि पड़ गई। इसको लेकर वे चंदू से खार खाए हुए थे। बताते हैं कि उसके जेल में पहुंचने पर उन्हीं बंदियों ने उस पर हमला कर दिया। बाद में बंदी रक्षकों ने किसी तरह से उसे उनके चंगुल से निकाल कर शताब्दी बैरक में पहुंचाया।

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तो क्या पुलिस की गिरफ्त में है शूटर!

गोरखपुर : जमीन कारोबारी चंदू ने पूछताछ में बताया है कि भाड़े के शूटरों से उसने अधिवक्ता की हत्या कराई थी। इसके लिए चार शूटरों को उसने ग्यारह लाख रुपया दिया था। शूटरों में एक नाम कोतवाली थाना क्षेत्र के अलीनगर उत्तरी निवासी मोहम्मद फजल का भी है। उसके परिजनों का कहना है कि पुलिस ने 29 अगस्त को घर के पास फजल को उठाया था। इसके बाद से उसका पता नहीं चल रहा है। लेकिन आधिकारिक तौर पर पुलिस उसके, गिरफ्त में होने की बात से इन्कार कर रही है। हालांकि सूत्रों का दावा है कि फजल, पुलिस के हाथ लग चुका है। उसे लखनऊ के एक होटल से उठाया गया था। उसकी मां मैमुननिशा के अनुसार 29 अगस्त को पुलिस ने उससे घर फोन करवाया था। बातचीत के दौरान उसने अपना मोबाइल फोन पुलिस वालों को देने के लिए कहा था। इस बातचीत के बाद फोन कट गया था। बाद में उसके गोरखनाथ थाने में होने की सूचना पर परिजन वहां पहुंचे। थाने की हवालात में उन्होंने फजल को देखा भी लेकिन उन्हें उससे मिलने नहीं दिया गया। आरोप है कि उसको पकड़ने से पहले 22 अगस्त से ही पुलिस ने उसके पिता मोहम्मद जफर को हिरासत में रखा था। एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर परिजनों ने फजल को पुलिस की गिरफ्त से छोड़ने की मांग की है।


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