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लंबी सेवावधि के बाद सेवानिवृत्त हुए 17 शिक्षक

जागरण संवददाता, गोरखपुर : जिस परिसर में जीवन के तीन से चार दशक बीते हों, समय वहां से विदाई का आ जाए

By Edited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 01:56 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 01:56 AM (IST)

जागरण संवददाता, गोरखपुर : जिस परिसर में जीवन के तीन से चार दशक बीते हों, समय वहां से विदाई का आ जाए तो भावुक होना स्वाभाविक ही है। ऐसा ही माहौल रहा मंगलवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में जहां लंबे सेवाकाल के उपरांत 17 शिक्षक एक साथ सेवानिवृत्त हो रहे थे।

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सेवानिवृत्ति ग्रहण कर रहे वरिष्ठ शिक्षकों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए साथी अनुज शिक्षकों ने सम्मान स्वरूप समारोह का आयोजन किया था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षक संघ के महामंत्री डा.शिवाकांत सिंह ने विश्वविद्यालय में निरन्तर घटती शिक्षकों की संख्या पर चिंता जताई। वहीं वरिष्ठ प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने अपने भावनात्मक उद्बोधन से सभी की आंखें नम कर दीं। प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों के सेवाकाल के विभिन्न संस्मरण साझा करते किए। अधिष्ठाता शिक्षा संकाय प्रो. लालजी त्रिपाठी ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में अवकाश प्राप्त करने पर कार्यरत शिक्षकों पर बोझ बढ़ जाएगा, सेवानिवृत्ति एक नियम है जिसका पालन करना जरूरी है।

शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो.जितेंद्र तिवारी ने कुलपति प्रो.अशोक कुमार से शिक्षकों के रिक्त पद भरने और लंबित प्रोन्नति प्रक्रिया संपन्न कराने की अपील की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने सेवानिवृत्त शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए हाल ही में गठित ग्रीवांस सेल की उपयोगिता बताते हुए विश्वविद्यालय के लिए शिक्षकों के अवदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने सभी अवकाश प्राप्त शिक्षकों से विश्वविद्यालय हित में हमेशा सहयोग करने की अपील भी की।

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भावनाओं के बोल --

हम आज अवकाश प्राप्त कर रहे रहे हैं। अब इस विश्वविद्यालय की उन्नति और कीर्ति की जिम्मेदारी अनुज शिक्षकों पर है। विश्वास है यह विश्वविद्यालय दिन प्रति दिन उन्नति करता जाएगा।

प्रो.वीपी बर्नवाल

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इस परिसर में जीवन का बेहतरीन समय बिताया है। यहां की यादें ही हमारे जेहन में हमेशा ताजा रहेंगी। खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि इस विश्वविद्यालय परिवार का एक अंग बन कर सेवा करने का मुझे मौका मिला।

प्रो.सीपीएम त्रिपाठी

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हमसे जितना हो सका, हमने पूरी तन्मयता के साथ अपने दायित्व का निर्वहन किया। विश्वविद्यालय परिसर में हमने जीवन के शानदार दिन बिताए हैं। खट्टे-मीठे ढेर सारे अनुभव हैं। सेवानिवृत्ति के अवसर पर अपने अनुज शिक्षकों से यही कहना चाहता हूं कि हमेशा याद रखें, एक शिक्षक के रूप में देश-समाज के प्रति हमारे कुछ उत्तरदायित्व हैं, उसे हमें पूरा करना ही होगा।

प्रो.सुरेंद्र दुबे

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