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बाइक सवारों को रौंद टैंपो से टकराई कार, तीन की मौत

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : खजनी थाना क्षेत्र में छताई पुल और रिक्शा नाला पुलिया के बीच सोमवार को त

By Edited By: Published: Mon, 25 May 2015 08:38 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 08:38 PM (IST)
बाइक सवारों को रौंद टैंपो से टकराई कार, तीन की मौत

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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खजनी थाना क्षेत्र में छताई पुल और रिक्शा नाला पुलिया के बीच सोमवार को तेज रफ्तार कार ने बाइक सवार तीन लोगों को रौंदने के बाद सवारी भरी टैंपो में टक्कर मार दी। इस हादसे में बाइक सवारों की मौत हो गई जबकि टैंपो सवार आधा दर्जन लोग घायल हो गए। कार सवार गाड़ी छोड़कर फरार हो गए। गुस्साए ग्रामीणों ने हादसे का सबब बनी कार को सड़क पर पलट दिया। बाद में पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया।

मृतकों की पहचान खजनी के उसवा बाबू निवासी तीजू निषाद के पुत्र आल्हा निषाद (22), असिलाभार निवासी गब्बू निषाद के पुत्र रामनयन (45) और उनकी पत्‍‌नी जोखना देवी (60) के रूप में हुई है। घायलों में खजनी क्षेत्र के ही बसडीला निवासी अली हुसैन की पत्‍‌नी नजरुननिशा (42), बीए में पढ़ने वाली उनकी बेटी सलमा खातून (28), खुटभार निवासी बेचन की पत्‍‌नी द्रोपदी देवी और जगरनाथपुर, गोला निवासी सुनील तिवारी के पुत्र अंकित (18) शामिल हैं। दो अन्य घायलों को मामूली चोटें आई हैं। पास के एक अस्पताल में उपचार के बाद उनको घर भेज दिया गया। द्रोपदी देवी का स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में इलाज चल रहा है, अन्य को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

रामनयन निषाद के रिश्तेदार बीमार हैं। अपनी मां जोखना देवी और ममेरे भाई आल्हा के साथ बाइक से वह उनको देखने जा रहे थे। रिक्शा नाला और छताई पुल के बीच में पहुंचे थे कि गोरखपुर से खजनी जा रही तेज रफ्तार स्विफ्ट डिजायर कार उनको टक्कर मारने के बाद उनके पीछे आ रही सवारी भरी टैंपो से टकरा गई। जोखना देवी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि उनके बेटे और भतीजे ने अस्पताल लाते समय दम तोड़ दिया। कार के पीछे के नंबर प्लेट पर अंग्रेजी में हाई कोर्ट लिखा हुआ है।

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मेंहदी का रंग फीका पड़ने से पहले धुल गया मांग का सिंदूर

हादसे में जान गंवाने वाले आल्हा की अभी दस दिन पूर्व (15 मई को) ही शादी हुई थी। घर में हंसी-खुशी का माहौल था। नई दुल्हन को लेकर परिवार में सभी उत्साहित थे। आल्हा की बहनें और भाभियां नव दंपती को बात-बे-बात छेड़कर हंसी, ठिठोली करती रहती थीं। इस महौल में दूल्हन के हाथ पर लगी मेंहदी का रंग अभी फीका भी नहीं हुआ था कि काल के क्रूर चक्र की निर्ममता ने उसकी मांग में भरा सिंदूर धुल दिया।

तीन भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटा आल्हा मुंबई में रहकर पेंट पालिस का काम करता था। शादी में वह घर आया था। रिश्तेदार की बीमारी का पता चला तो उनका हाल जानने के लिए चल पड़ा। पहले बुआ के घर गया। वहां से बुआ और फुफेरे भाई के साथ रिश्तेदार के घर जा रहा था कि यह हादसा हो गया। आल्हा की शादी चौरीचौरा के डुमरी, टोला बखरिया निवासी रामपति की बेटी चांदमती के साथ हुई थी।


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