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किडनी का सच बताएगी इम्यूनोफ्लोरसेंस तकनीक

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : इम्यूनोफ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी तकनीक किडनी की जांच के लिए बेहद महत

By Edited By: Published: Mon, 25 May 2015 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 01:41 AM (IST)
किडनी का सच बताएगी इम्यूनोफ्लोरसेंस तकनीक

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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इम्यूनोफ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी तकनीक किडनी की जांच के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे न केवल किडनी की बीमारियों का समय रहते पता चल जाता है बल्कि रोग के कारणों के बारे में भी सटीक जानकारी मिल जाती है।

बीआरडी मेडिकल कालेज के पैथालॉजी विभाग में रविवार को आयोजित सेमीनार में यह बातें पीजीआइ लखनऊ से आए डा. रामनवल ने कहीं। उन्होंने कहा कि किडनी की बीमारियों का लक्षण आने पर रक्त व यूरीन की जांच में क्रिएटनीन व यूरिया बढ़ने के साथ ही यूरीन में प्रोटीन आने की जानकारी मिलती है। इस का पूरी तरह पता नहीं चल पाता है कि किडनी को किन तत्वों के कारण नुकसान पहुंचा है। फारेन एन्टीजन, विषैले पदार्थ, वायरस, बैक्टीरिया इत्यादि किडनी को संक्रमित कर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। लगातार संक्रमण के कारण इसकी छानने की जगह खराब होने लगती है और प्रोटीन सहित कई दूसरे तत्व में यूरीन के रास्ते बाहर आने लगते हैं। पहले किडनी को नुकसान का पता तो चल जाता था लेकिन इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी कि यह किस वजह से हो रहा है। अब नई तकनीक ने यह आसान कर दिया है। इसमें नीडिल के माध्यम से गुर्दे का टुकड़ा लेकर उसकी बायोप्सी की जाती है। टुकड़े पर पहले एंटीबॉडी फिर उसके ऊपर फ्लोरोसेन्ट डाई डाला जाता है। इसके बाद फ्लोरोसेन्ट माइक्रोस्कोप में लगी लाइट जब टुकड़े पर पड़ती है तो टुकड़े से कई रंग का प्रकाश निकलता हैं। प्रकाश का रंग देख कर यह पता लग जाता है जिस पदार्थ के कारण किडनी खराब हो रही है।

मुरादाबाद के तीर्थाकर महाबीर जैन मेडिकल कालेज से आए डा. मनोज सक्सेना ने क्वालिटी एश्योरेंस प्रोग्राम टू एनएबीएल एक्रीडिटेशन विषय पर कहा कि इसके लिए पैथालॉजी की आधारभूत संरचना, जांच व उपकरणों की क्या स्थिति होनी चाहिए। एनएबीएल प्रमाण पत्र होने से पैथालॉजी की विश्वसनीयता भी बढ़ जाती है। इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा ने कहा कि पीजी कोर्स को एमसीआइ की मान्यता के लिए हर विभागों में आयोजित होने वाले कार्यशाला व सेमीनार की महत्वपूर्ण भूमिका है। पैथालॉजी के विभागाध्यक्ष व प्रोफेसर डा. राजीव मिश्र ने कहा पैथालाजी के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकें आई हैं। प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर एसपीएम विभाग के प्रोफेसर डीके श्रीवास्तव, मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. महिल मित्तल, डा. पूर्णिमा शुक्ला, ब्लड बैंक अधिकारी व पैथालॉजी विभाग के डा. राजेश राय, डा. पवन प्रधान, डा. शिल्पा, डा. शैला, डा. अनिल श्रीवास्तव सहित अनेक लोग उपस्थित थे।


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