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दहशत में चिल्लाए बच्चे भागो आया भूकंप

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : धरती के हिलते ही सरकारी और कान्वेंट विद्यालयों के बच्चे दहशत के मारे चिल्

By Edited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 01:42 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 01:42 AM (IST)
दहशत में चिल्लाए बच्चे भागो आया भूकंप

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : धरती के हिलते ही सरकारी और कान्वेंट विद्यालयों के बच्चे दहशत के मारे चिल्लाने लगे। उनके चेहरे पर डर चस्पा कर गया। रोते-बिलखते बच्चों को घर की याद और और भागो भूकंप आ गया बोलते हुए कक्षा से भागने लगे। इसे देख शिक्षक भी हिल गए। प्रबंधन भी सहम गया। आनन-फानन शिक्षकों ने बच्चों को कक्षा से बाहर किया। कहीं मैदान में तो कहीं प्रार्थना स्थल पर बच्चों को ठहराया गया। इसी दौरान गिरते-पड़ते अभिभावक स्कूल पहुंचे और पाल्यों को लेकर घर गए। इसके बाद विद्यालय प्रबंधन ने राहत की सांस ली।

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महानगर स्थित विद्यालयों के भवन भूकंपरोधी नहीं है। सरकारी ही नहीं कान्वेंट विद्यालयों की भी एक ही दशा है। महानगर के सरकारी विद्यालय जर्जर भवन में चल रहे हैं तो कान्वेंट स्कूल छोटे-छोटे कमरों में चल रहे हैं। धरती के हिलते ही विद्यालयों की व्यवस्था की पोल खुल गई। महानगर में दर्जनों सरकारी विद्यालय जर्जर भवन में चल रहे हैं। कब छत नीचे आ जाए कोई नहीं जानता। न विभाग चेत रहा और न जिला प्रशासन बच्चों की सुधि लेता है। भूकंप आया तो महानगर के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे चिल्लाते हुए भागने लगे। उनके पीछे शिक्षक भी बदहवास भाग रहे थे। कुछ शिक्षकों ने बच्चों को रोककर फील्ड में खड़ा किया। वहीं, कान्वेंट स्कूलों की स्थिति भी दयनीय रही। महानगर में ही छोटे-बड़े सैकड़ों कान्वेंट स्कूल हैं। एक-दो को छोड़ दिया जाए तो किसी के पास पर्याप्त जगह नहीं है। जहां जगह है, वहां के भवन भी भूकंपरोधी नहीं हैं। कम जगह में बने विद्यालय की भवन ने स्कूल प्रबंधनों के माथे पर बल ला दिया। बच्चों में किसी का जूता छूटा तो किसी का बस्ता। शिक्षकों ने भी उन्हें जाने दिया। उनका कहना था कि सोमवार को आकर बस्ता ले लेना सुरक्षित रहेगा। कुछ विद्यालयों के बच्चे रो रहे थे तो कई गिर पड़े। जिसे विद्यालय प्रबंधन ने संभाला। इस भूकंप ने विद्यालयों की आपातकालीन व्यवस्था के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है।

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छोटे कमरों में कान्वेंट,

हिल गए अभिभावक

शनिवार को जब धरती हिली तो विद्यालय प्रबंधन ही नहीं अभिभावक भी हिल गए। महानगर के अधिकतर विद्यालय छोटे कमरों में ही चल रहे हैं। यहां आपातकाल से निपटने के लिए कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं है। जगह के अभाव में विद्यालय प्रबंधन छोटे-छोटे कमरे बनवाने लगे। जी नहीं भरा तो एक के ऊपर एक छतें लगने लगी। विद्यालय की इमारत तो ऊंची हो गई लेकिन व्यवस्था नदारद। किसी भी विद्यालय के पास आपातकाल के समय निपटने की कोई व्यवस्था नहीं है।

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जर्जर भवनों में चल रहे

एक दर्जन सरकारी स्कूल

महानगर में सरकारी विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब है। यहां एक दर्जन से अधिक सरकारी विद्यालय जर्जर भवन में ही चल रहे हैं। जहां भवन हैं वहां भी एक कक्षीय कमरा ही है। आपातकाल में निपटने के लिए कोई भी संसाधन नहीं। चाहें वह अंधियारी बाग का प्राथमिक स्कूल हो या झरनाटोला का झर रहा विद्यालय। इन बच्चों के प्रति न विभाग सजग है और न जिला प्रशासन सोच रहा है।


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