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मेघदूत की पूर्वाचल यात्रा ने किया भाव-विभोर

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : उत्तर-पूर्व एवं उत्तर के साहित्यकारों के दो दिनी सम्मिलन के आखिरी दिन साह

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 10:37 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 10:37 PM (IST)

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : उत्तर-पूर्व एवं उत्तर के साहित्यकारों के दो दिनी सम्मिलन के आखिरी दिन साहित्यकारों ने मेघदूत की पूर्वाचल यात्रा नृत्य नाटिका का आनंद लिया। संस्था सास्कृतिक संगम, सलेमपुर के कलाकारों द्वारा मंचित नृत्य नाटिका के माध्यम से कलाकारों ने विलुप्त होती भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सजीव मंचन किया।

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दो दिनी साहित्यकारों के सम्मिलन के समापन अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या के अवसर पर मेजबान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार डा.केदारनाथ सिंह सहित सम्मिलन में आए करीब एक दर्जन भाषाओं के विभिन्न साहित्यकार मौजूद रहे। नृत्य-नाटिका का मंचन देख सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में संपन्न इस नृत्य नाटिका मेघदूत की पूर्वाचल यात्रा की शुरुआत भगवान कुबेर द्वारा यज्ञ को शाप देने से होती है। शाप के चलते यक्ष और उनकी पत्‍‌नी कई वर्षो तक एक-दूसरे से अलग रहते हैं। कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद कलाकारों ने वर्ष भर पड़ने वाले त्योहारों दीपावली, भैयादूज, गोवर्द्धन पूजा, छठ पूजा, होली आदि का अपनी कलाओं के माध्यम से वर्णन किया। कलाकारों ने वरक्षा, तिलक, शादी और फिर लड़की की विदाई प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया।


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