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सुविधाओं के लिए तरसता गोरखपुर बस डिपो

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : सन 1950 में बने गोरखपुर डिपो से 172 बसों का संचलन होता है। इन बसों से हजा

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:20 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 01:20 AM (IST)
सुविधाओं के लिए तरसता गोरखपुर बस डिपो

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : सन 1950 में बने गोरखपुर डिपो से 172 बसों का संचलन होता है। इन बसों से हजारों की संख्या में यात्री आवागमन करते हैं। लेकिन गोरखपुर बस डिपो में मुसाफिर सुविधाओं के मोहताज हैं। डिपो परिसर में मुसाफिरों को सुविधाओं के नाम पर पीने के लिए गंदा पानी, बैठने के लिए खुली जगह ही उपलब्ध है। बस स्टैंड में फैली गंदगी यात्रियों को परेशान कर रही है।

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वहीं दूसरी तरफ बस स्टेशन परिसर की दुकानों में बिकने वाले सामनों की कीमत दुकानदार बाजार से डेढ़ गुना वसूल रहे हैं। डिपो के प्रवेश द्वार पर ठेले वाले और अतिक्रमण कर चल रही दुकानों के कारण यात्रियों को आवागमन में परेशानी होती है।

कभी भी ढह सकती है छत

जर्जर होने के कारण पैसेंजर हाल की छत कब ढह जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। अनेक जगह की सीमेंट गिर चुकी है। अपनी जान की सलामती के लिए यात्री पैसेंजर हाल के बाहर बैठकर बस का इंतजार करते हैं।

गंदा पानी पीने की मजबूरी

स्टेशन परिसर में गंदा पानी पीने के लिए यात्री मजबूर हैं। पानी की बो¨रग पर काई जम गई है। पानी की सप्लाई के लिए बनी टंकी पूरी तरह जर्जर है। टंकी की सफाई के लिए बनी सीढ़ी बीच से टूट गई है। टंकी को देखने से लगता है कि इसकी वर्षो से सफाई नहीं हुई है।

परिसर में अतिक्रमण

डिपो के परिसर में ठेले व गुमटियों वालों का कब्जा है। बस स्टेशन परिसर में बने विकलांगों के रैंप के पास ठेले वाले ने कब्जा कर लिया है। विकलांग यात्रियों को परिसर में आने में परेशानी होती है। इसके अलावा बस परिसर में होटल, चाय की दुकानें भी अतिक्रमण कर चलाई जा रही हैं।

साफ-सफाई होती रहती है। जो भी कमी है जल्दी दूर कर दी जाएगी। अधिकारियों को आदेश दे दिया गया है।

महेश चंद, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर


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