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कलयुग में केवल नाम ही आधार है

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : कलयुग में केवल नाम ही आधार है। सतयुग में तपस्या से, त्रेता में यज्ञ व द्व

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 09:42 PM (IST)
कलयुग में केवल नाम ही आधार है

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : कलयुग में केवल नाम ही आधार है। सतयुग में तपस्या से, त्रेता में यज्ञ व द्वापर में उपासना से जो फल प्राप्त होता था, वही कलयुग में केवल नाम स्मरण के प्राप्त हो जाता है।

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यह बातें कथावाचक रामज्ञान पांडेय ने कही। वह यहां गोरक्षनगर सिंघड़िया में गोरक्षनगर सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिन रविवार को व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कामदेव द्वारा भगवान शंकर की समाधि को भंग करने का औचित्य सिद्ध करते हुए कहा कि उनकी समाधि से उनको व ताड़कासुर को लाभ हो रहा था जिससे मानवता त्रस्त हो रही थी। ऐसी समाधि को भंग होना ही चाहिए। इसके पूर्व व्यास पीठ व श्रीरामचरितमानस की पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर मन्नन राव, गंगेश्वर पांडेय, संजय सिंह व सुधाकर राय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

सुख के अतिरिक्त और कोई लक्ष्य नहीं

गोरखपुर : हम लोग एकमात्र आंनद या सुख ही चाहते हैं। सुख के अतिरिक्त हमारा और कोई लक्ष्य नहीं है।

यह बातें कृपालु महाराज की शिष्या सुश्री निकुंजेश्वरी देवी ने कही। वह यहां सूर्यकुंड स्थित एक मैरेज हाल में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में रविवार को व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि यदि कोई कहे कि हमें धन, स्त्री, पुत्र व संसार का समस्त ऐश्वर्य चाहिए तो यह इसीलिए चाहिए कि वह इनसे आनंद प्राप्त करना चाहता है। हम आनंद स्वरूप भगवान के अंश हैं, प्रत्येक अंशी अपने अंश से प्यार करता है और उसे ही प्राप्त करना चाहता है। अर्थात अज्ञात रूप से हम लोग आनंद के रूप में भगवान को ही प्राप्त करना चाहते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।


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