बड़ी परियोजनाएं नहीं हैं तो अभी राहत
जागरण संवाददाता, गोरखपुर: मनरेगा कार्यो की सीबीआइ के पहले चरण की जांच से गोरखपुर को फिलहाल राहत है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर: मनरेगा कार्यो की सीबीआइ के पहले चरण की जांच से गोरखपुर को फिलहाल राहत है। यहां 40 लाख अथवा उससे अधिक की धनराशि की परियोजनाओं का न होना इसकी वजह है। पहले चरण की जांच में वे जिले शामिल हैं जहां 40 लाख अथवा इससे अधिक की परियोजनाओं पर धनराशि खर्च हुई है। सीबीआइ ने सप्ताह भीतर फिर जिलों से अभिलेख मांगे हैं।
मनरेगा में घपले की जांच अब दो चरणों में होनी है। पहले चरण की जांच शुरू हो गई है। गोरखपुर मंडल में पहले चरण की जांच कुशीनगर के साथ महराजगंज में भी चल रही है। चूंकि गोरखपुर में अधिकतम किसी कार्य पर 15 लाख खर्च हुए हैं, इसलिए यहां के अधिकारी-कर्मचारी अभी राहत महसूस कर रहे हैं। हालांकि दूसरे चरण की जांच की सीमा निर्धारण को लेकन उन्हें भविष्य की चिंता भी है। 15 लाख से अधिक की धनराशि लोक निर्माण और वन विभाग ने खर्च किए हैं। गोरखपुर जिले में तीन सालों में लगभग चार सौ करोड़ खर्च हुए हैं। जांच की सीमा में 1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2010 तक कराए गए कार्य हैं। सीबीआइ ने एक साल पहले भी मनरेगा से जुड़ी परियोजनाओं का विवरण मांगा था। फिर प्रत्येक ग्राम पंचायत में खर्च की गई पूरी धनराशि का हिसाब मांगा। इसमें मजदूरी और सामग्री खरीद पर खर्च हुई धनराशि भी शामिल थी। विभाग के मुताबिक, पिछली बार मांगे गए सभी अभिलेख शासन के जरिए सीबीआइ को उपलब्ध कराए जा चुके हैं। अब फिर अभिलेख सहेजे जा रहे हैं। सीबीआइ की नजर मनरेगा के मैनेजमेंट इंफारमेशन सिस्टम (एमआइएस) में दर्ज रिकार्ड पर भी है।
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सीबीआइ ने पहले मांगी थी इनकी सूचना
-नेशनल लेबिल मानीटर की जांच रिपोर्ट
-स्टेट क्वालिटी मानीटर की जांच रिपोर्ट
-संयुक्त विकास आयुक्त की जांच रिपोर्ट