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इंसेफ्लाइटिस के प्रति जागरूक करने के लिए कौड़ा बहस

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूर्वाचल में हर साल सैकड़ों मासूमों की जान लेने वाली इंसेफ्लाइटिस के प्

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 11:07 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 11:07 PM (IST)

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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पूर्वाचल में हर साल सैकड़ों मासूमों की जान लेने वाली इंसेफ्लाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कौड़ा बहस का आयोजन किया जा रहा है। इंसेफ्लाइटिस उन्मूलन अभियान ने इसकी शुरुआत कर दी है।

अभियान के चीफ कैंपेनर व बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरएन सिंह कहा जब गांव या शहर में लोग ठंड में आग के सामने बैठकर तापते हैं, उस दौरान तमाम बातचीत भी करते हैं। इन लोगों को अभियान से जोड़कर पांच सूत्रीय फैक्ट शीट उपलब्ध कराई जा रही है। जिसके जरिए पूरे देश में इंसेफ्लाइटिस से निजात के लिए आवाज उठाई जा सकती है।

फैक्ट शीट में कहा गया है कि इंसेफ्लाइटिस के लिए राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम जनवरी से 2015 से ही लागू किया जाए। रोकथाम को इलाज से अधिक प्राथमिकता मिले। यह काम जनवरी से ही किया जाए तभी मौतों में कमी आएगी। केंद्र व प्रदेश की सरकारें एकमत होकर एक मुद्दे पर परस्पर सहयोग के साथ काम करें। उस बीमारी को समय व स्थान के अनुसार प्राथमिकता मिले जो ज्यादा हों। जैसे पूर्वाचल में इस समय जलजनित इंसेफ्लाइटिस के मामले नब्बे फीसद से अधिक आ रहे हैं, लेकिन बचाव में प्राथमिकता जापानी इंसेफ्लाइटिस को ही मिल रही है जिसमें मरीज अब चार से छह फीसद रह गए हैं। इंसेफ्लाइटिस के बचाव व इलाज के लिए स्वीकृत चार हजार करोड़ में ज्यादातर धन जेई के टीके और आइसीयू व इलाज पर खर्च कर दिया गया जबकि जलजनित इंटेरोवायरस के चलते मासूमों की मौतें होती रहीं। जेई के टीके के विषय में बहस का मुद्दा है कि जब सरकार ने हमारी दो खुराक की मांग मान ली तो वह सभी बच्चों को लगनी चाहिए।


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