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अब अधिकारियों-कर्मचारियों को करंट का झटका

गोरखपुर : पावर कारपोरेशन उत्तर प्रदेश का बिजली वितरण विभाग अब शीघ्र ही विभिन्न विभागों के सरकारी अधि

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 09:47 PM (IST)
अब अधिकारियों-कर्मचारियों को करंट का झटका

गोरखपुर : पावर कारपोरेशन उत्तर प्रदेश का बिजली वितरण विभाग अब शीघ्र ही विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को करंट का जोरदार झटका लगाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री की अक्टूबर 2016 से शहरी क्षेत्र में 24 घंटे व ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे बिजली प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए बिजली विभाग ने अब बिजली के सामान्य मीटरों की जगह प्रीपेड मीटर लगाने की कवायद शुरू कर दी है। पहले चरण में तीन स्तर के लोगों के घरों व दुकानों संस्थानों को प्रीपेड मीटर लगाने के लिए चुना गया है। इसके बाद दूसरे चरण में इसका विस्तार किया जाएगा। प्रीपेड मीटर लगने से पहले विभाग में धन आ जाएगा। बाद में उपभोक्ता उसका उतना ही उपयोग कर पाएंगे जितना बिजली लेने के लिए वह अपना मीटर रिचार्ज कराए होंगे। इससे बिजली चोरी से भी निजात मिलेगी।

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पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी ने इसकी कवायद शुरू करते हुए पहले चरण में नगरीय क्षेत्रों में प्रीपेड मीटर लगाने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। इसके लिए गोरखपुर विद्युत नगरीय वितरण मंडल गोरखपुर के अधीक्षण अभियंता एसपी पांडेय को तथा बस्ती में विद्युत वितरण मंडल बस्ती के अधीक्षण अभियंता रत्‍‌नेश कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। नोडल अधिकारी सिंगल फेज व तीन फेज प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के परिसरों पर मीटर लगाने, वेंडिंग मशीन, संबंधित उपकरणों व परिचालन के लिए स्थान का चयन करेंगे। इसके साथ ही सर्वेक्षण कराकर प्रीपेड उपभोक्ताओं का चयन कर उनकी सूची तैयार कराएंगे। इसके साथ ही प्रीपेड मीटर व उपभोक्ता तथा विभाग के बीच संपर्क (कनेक्टिविटी)के सुचारू संचालन के लिए कार्यदाई संस्था मेमर्स सिक्योर व मेमर्स एचसीएल से संपर्क बनाकर कार्यक्रम का संचालन शुरू कर देंगे। प्रथम चरण में ऐसे उपभोक्ताओं का डाटा जुटा कर उसे निगम को देना है उसके बाद विभाग को प्रीपेड मीटर मिलेंगे। फिलहाल अभी सर्वेक्षण का कार्य शुरू होना है।

पहले चरण में किसके यहां लगेगा प्रीपेड मीटर

1- अस्थाई उपभोक्ता व झुग्गी झोपड़ी :

पहले चरण में विभाग अस्थाई उपभोक्ताओं व झुग्गी- झोपड़ी के यहां प्रीपेड मीटर लगाएगा। इससे उपभोक्ता को जितनी बिजली की जरूरत होगी उतनी बिजली वह रिचार्ज करा कर उपयोग कर सकेगा। इन्हें प्रीपेड उपभोक्ता बनाने के पीछे विभाग की मंशा यह है कि उन्हें जब तक स्थाई रूप से बिजली की जरूरत नहीं होगी तब तक वह प्रीपेड मीटर से बिजली उपयोग कर सकेंगे।

2- सरकारी अधिकारी व कर्मचारी :

बिजली विभाग सबसे बड़ा झटका अब सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को देने जा रहा है। अब उनके आवासों पर प्रीपेड मीटर लगाने का निर्णय किया गया है। काफी लंबे समय से उनके आवासों पर लंबा बकाया चला आ रहा है, क्योंकि उनका वह स्थाई आवास नहीं होने के कारण अधिकांश बिल जमा नहीं करते और एक समय के बाद स्थानांतरित होकर दूसरे जगह चले जाते हैं। बिल जमा करने के लिए विभाग कहता है तो उनका तर्क होता है कि उनके पहले जो उस आवास में रह रहा था वह बकाया उसका है। अब स्थाई समाधान के लिए विभाग ने उनके आवासों में प्रीपेड मीटर लगाने की योजना बनाई है।

3- कंपनियों के मोबाइल टावर :

विभिन्न कंपनियों के मोबाइल टावरों पर भी अब प्रीपेड मीटर ही लगेंगे। क्योंकि बिजली का बिल मिलने पर उसके भुगतान के लिए मोबाइल कंपनियों के मुख्यालयों पर उसकी स्वीकृति मिलने में महीनों लग जाते हैं। विभिन्न मोबाइल टावरों पर विभाग का वर्षो से लाखों रुपये का बकाया चलता रहता है। इससे निजात के लिए मोबाइल टावरों पर प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी है।

4-तत्काल कनेक्शन के इच्छुक लोग:

तत्काल बिजली कनेक्शन के इच्छुक लोग भी अब तत्काल प्रीपेड कनेक्शन लेकर अपनी जरूरत पूरी कर सकेंगे।

प्रीपेड मीटर के लाभ

गोरखपुर : प्री प्रीपेड मीटर लगाने से बिजली विभाग को लाभ ही लाभ होगा। एक सामान्य उपभोक्ता जिसे अविलंब कनेक्शन की जरूरत होगी उसके लिए भी यह व्यवस्था ठीक रहेगी। बिजली विभाग को प्रीपेड मीटर की व्यवस्था शुरू करने से विभाग के पास धन अग्रिम रूप से मिल जाएगी, सामान्य स्थिति में बिजली उपयोग के बाद विभाग बिल देता है और उपभोक्ता एक नियत समय बाद जमा करता है। इससे बिजली चोरी काफी हद तक कम होने की संभावना है।

मंगलवार को वाराणसी में होगा डिमांस्ट्रेशन : अधीक्षण अभियंता

नगरीय विद्युत वितरण मंडल के अधीक्षण अभियंता एसपी पांडेय ने बताया कि मैने भी अभी प्रीपेड मीटर देखा नहीं है। पहली बार कार्यदाई संस्था द्वारा मंगलवार को निगम के प्रबंध निदेशक डा.काजल के समक्ष इसका प्रदर्शन किया जाएगा। इस पर लागत चार हजार रुपये पड़ रही है। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।


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